नई दिल्ली । राजधानी दिल्ली की विभिन्न जेलों में पिछले 2 सालों में अंतरिम जमानत या आपात पैरोल पर रिहा किए गए कैदियों में से करीब 19 प्रतिशत अभी तक वापस नहीं आए हैं। दरअसल, ये जानकारी सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत अधिकारियों द्वारा साझा किए गए आंकड़ों से मिली है। बता दें कि, कोविड-19 महामारी के दौरान 2020 और 2021 में दिल्ली की तीन जेलों – तिहाड़, रोहिणी और मंडोली – से कैदियों को रिहा किया गया था। जहां इन कैदियों को जेलों में भीड़ कम करने के उपायों के तहत सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रिहा किया गया था। दरअसल, जेल अधिकारियों से मिले आंकड़ों के अनुसार, पिछले 2 सालों में 5,525 कैदियों को अंतरिम जमानत और आपात पैरोल पर रिहा किया गया था। उनमें से 1,063 (19।23 प्रतिशत) कैदी अपनी शेष सजा काटने के लिए वापस नहीं आए हैं। वहीं, दिल्ली जेल विभाग के एक वरिष्ठ जेल अधिकारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि 2021 में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान रिहा किए गए कैदियों को अगले आदेश तक आत्मसमर्पण करने के लिए नहीं कहा जाएगा। उन्होंने कहा कि यह आदेश अभी कायम है।
बता दें कि, एक अप्रैल 2020 से कैदियों की रिहाई के बारे में इस संवाददाता द्वारा दायर किए गए एक आरटीआई आवेदन के जवाब में, जेल अधीक्षक कार्यालय (तिहाड़ सेंट्रल जेल नंबर 3) ने 24 अगस्त को बताया कि इस जेल से 1,359 कैदियों को अंतरिम जमानत या आपात पैरोल पर रिहा किया गया था। वहीं, जवाब के अनुसार ‘अंतरिम जमानत व आपात पैरोल के बाद अब तक कुल 376 कैदियों ने आत्मसमर्पण नहीं किया है। इसके साथ ही दिल्ली की अन्य जेलों में दायर इसी तरह के आरटीआई आवेदनों से पता चलता है कि सैकड़ों कैदियों ने अभी तक आत्मसमर्पण नहीं किया है वहीं, जेल अधीक्षक कार्यालय (तिहाड़ सेंट्रल जेल नंबर 4) ने बीते 9 सितंबर को कहा कि 2,358 कैदियों को अंतरिम जमानत या आपात पैरोल पर रिहा किया गया था। उनमें से 389 कैदियों ने अभी तक आत्मसमर्पण नहीं किया है। इसके साथ ही जेल अधीक्षक कार्यालय (तिहाड़ सेंट्रल जेल नंबर 5) ने बताया कि 2020 और 2021 में क्रमश: 315 और 236 कैदियों को रिहा किया गया था। 2020 में रिहा किए गए 315 कैदियों में से 160 ने अब तक आत्मसमर्पण नहीं किया है।