जी के चक्रवर्ती
चीन में एक बार फिर कोरोना की भयानक लहर उठी है जिससे तबाही चरम पर है, इससे कई देश चपेट में हैं। दुनिया में सबसे पहले कोरोना वायरस के विषय में 31 दिसंबर वर्ष 2019 को जानकारी मिली थी उस वक़्त चीन के वुहान के हुबेई प्रांत के स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा इस तरह की चेतावनी जारी कर इसकी पुष्टी की थी लेकिन बाद में हकीकत के सामने आने पर दुनिया को यह पता चला कि यहां तो बहुत पहले से ही यह वायरस लोगों को अपने आगोश में ले चुका था। दरअसल इस वायरस से पीड़ित व्यक्ति में निमोनिया बुखार के गंभीर लक्षण पाये गये थे, लेकिन चीनी सरकार ने इस बात की भनक न चीनी मीडिया से लेकर विश्व में जाने से रोक कर, पुरे विश्व को स्तब्ध कर दिया था, ठीक वैसी ही स्थिति इस वक़्त होते हुये नज़र आ रहीं है। इस वक़्त चीन में कोरोना वायरस ने एक महामारी का रूप धारण कर लोगों को मौत की नींद सुला रही है।
सम्पूर्ण दुनिया में जब यह वायरस फैल चुकी थी तो उस वक़्त चीन ने इस बात की जानकारी दुनिया को दी कि हमारे यहां एक वायरस से प्रभावित कई मामले दर्ज किये हैं, लेकिन फिर से अब जब चीन के अपने यहां से लॉक डाउन, क्वाटरीन जैसे सुरक्षा प्रतिबंधों को हटा लिया तो इस वायरस ने लोगों को अपने घेरे में लेकर मौत का तांडव करना शुरू कर दिया।
चीन में लगातार कोविड से प्रभावित लोगों का मरने का क्रम जारी है तो वहीं स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि देश में आने वाले कुछ महीनों में कोरोना से 80 करोड़ लोग संक्रमित हो सकते हैं तो वहीं एक रिपोर्ट की माने तो चीन में कोरोना से मरने वालों की संख्या 5 लाख तक हो सकती है। चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक़ पिछले 20 दिसम्बर को संक्रमण से केवल 5 मौतें और सोमवार के दिन 2 ही मौतें हुईं थीं। वैसे आपको बता दें कि चीन में जिस तरह कोरोना से हुई मौतों को देखने का तरीका अपनाया है उसमें उन्हीं मौतों को कोविड से हुई मौतें माना जायेगा, जिन लोगों की मौत सांस की बीमारियों से हो रही है।
इस तरह से देखने में यह आ रहा है कि वहां जिस तेजी से लोगों की मौतें हो रहीं हैं चीनी सरकार उसे नजरअंदाज कर पुनः वही गलती दोहरा रही है जो उसने पहले कर चुकीं है, यानिकी आंकड़ों को छिपाने का काम वह आज भी बदस्तूर कर रहा है।
जानकारों का कहना है कि इस महामारी को रोकने के लिए तभी प्रभावी कदम उठाये जा सकते हैं जब सही जानकारी उपलब्ध हों। इस तरह के हालातों में आंकड़ों को छिपाना और भी खतरनाक हो सकता है, क्योंकि इससे बीमारी की गंभीरता का सही आंकलन लगाना बहुत मुश्किल होता है।
इस बार चीन ने अपने यहां कोरोना से होने वाली मौतों के आंकड़ों को छिपाने का एक नायाब तरीका ढूँढ निकाला है। जिसमें उसने एक अलग तरह का गाइडलाइन जारी कर कहा है कि कोविड से होने वाली मृत्यु तभी मानी जाएगी जब मरीज की मौत सांस की बीमारी से होगी। यदि किसी मरीज़ के संक्रमित होने के बाद भी उसकी मौत चाहे ह्रदय या मस्तिष्क से जुड़ी बीमारी से ही क्यूँ न हुई हो उसे कोविड से हुई मृत्यु नहीं माना जाएगा।
चीन में टीकाकरण को लेकर ऐसा कहा गया था की यहां के 90 प्रतिशत तक के आबादी को वैक्सीन लगाया जा चूका है तो 68 फ़ीसदी तक के लोगों को वैक्सीन की दूसरी खुराक भी लग चुकी है लेकिन इन सबके बावजूद लोगों की लगातार मृत्यु के शिकार होने से ऐसा लग रहा है कि स्वयं चीन की सरकार अपने यहां की जनसंख्या से परेशान है, इसलिए वह लगातार ग़लत बयानी कर रही है, लेकीन वह शेष दुनिया के देशों के लोगों से कौन सी दुश्मनी निकाल रहा हैं।