बेकाबू महंगाई से पब्लिक परेशान हैं। पेट्रोल-डीजल के साथ सब्जियों में ऐसी आग ली कि थाली खाली हो गई है। चटनी के दर्शन नहीं हो रहे हैं। सलाद से नींबू गायब है धानिया भी भाव खा रहा है। ऐसे में हलवाई चटनी में सूखे धानिया का प्रयोग कर रहे हैं। कोरोना की जंग खत्म होने के बाद भी मंदी और महंगाई ने पब्लिक की कमर तोड़ दी है। बढ़ती महंगाई का सीधा असर घर की रसोई पर पड़ा है। रसोई में खाने की थाली अब खाली नजर आती है। थाली से सब्जी की कटोरी कम हो गई हैं तो चटनी शाही व्यंजन में इंद्राज हो गई है।
थोक मंडी और खुदरा बाजार की कीमतों में दो गुने का अंतर नजर आ रहा है। ऐसे में नागरिकों की जेब पर कट रही है, लेकिन सब्जी की मात्र कम हो गई है। प्रंचड गर्मी के अकारण आलू के दाम 20 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए हैं तो टमाटर की दाम भी 30 से 40 रुपये प्रतिकिलो हैं। जबकि धानिया 100 रुपये प्रतिकिलो बिक रहा है। शहर की पॉश कॉलोनी से लेकर गली मोहल्ले में लगी ठेलों पर बैंगन, लौकी और पालक जैसी सब्जी 40 रुपये प्रतिकिलो बिक रही है। सब्जी पर महंगाई के चलते खरीदार एक किलो की जगह एक
पाव सब्जी खरीद रहे हैं।