नई दिल्ली। नोबेल पुरस्कार विजेता और भारत के राष्ट्रगान के रचयिता रवींद्रनाथ टैगोर को गुरूदेव के नाम से जाना जाता था। वह एशिया के पहले कवि थे जिन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। ऐसा कोई ही भारतीय होगा जो इन्हें नहीं जानता होगा। देश का राष्ट्रगान लिखने वाले गुरूदेव हर भारतीय के दिलों में बसते है। आपको बता दें कि टैगोर ने न केवल भारत का राष्ट्रगान लिखा बल्कि दो और देशों का भी राष्ट्रगान लिखा। ये देश है बांग्लादेश और श्रीलंका। टैगोर ने अपनी रचनाओं से इन देशों के हर एक नागरिक को एक ही स्वर में बांध के रखा।
टैगोर का जन्म 7 अगस्त 1861 को कलकत्ता में हुआ था। अपने 13 भाई-बहनों में टेगौर सबसे छोटे थे और बचपन में ही अपनी मां को खो चुके थे। शिक्षा हासिल करने के लिए टैगोर लंदन गए जहां उन्होंने कानून की पढ़ाई की लेकिन वह बीच में ही सबकुछ छोड़ कर वापस भारत लौट आए और मृणालिनी देवी से विवाह कर लिया। तब टैगोर की पत्नी की उम्र केवल 10 साल की थी। एक साथ 19 सालों तक साथ रहने के बाद टैगोर की पत्नी का देहांत हो गया। उनके जाने के बाद गुरूदेव ने कभी भी दूसरी शादी करने का नहीं सोचा। बचपन से ही साहित्य संबंधी गुणों से भरे हुए गुरूदेव ने अपने जीवन काल में कई उपन्यास, निबंध, लघु-कथाएं, यात्रा-वृत्तांत, नाटक आदि लिखे। गीतांजलि, पूरबी प्रवाहिन, शिशु भोलानाथ, महुआ, वनवाणी, परिशेष, पुनश्च, वीथिका शेषलेखा और चोखेरबाली उनकी तमाम प्रसिद्ध किताबों से कुछ के नाम हैं, जिन्हें लोगों द्वारा काफी पसंद किया गया। 7 अगस्त 1941 को 80 वर्ष में महाकवि का देहांत हुआ।
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