लखनऊ में गोमती तट पर मेला, कौशांबी में घर-घर दीप प्रज्वलन
लखनऊ/कौशांबी, 5 नवम्बर। कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर आज पूरे उत्तर प्रदेश में देव दीपावली का पर्व धूमधाम से मनाया गया। लखनऊ में गोमती नदी के किनारे हजारों श्रद्धालुओं ने दीपदान किया, पूजा-अर्चना की और मछलियों को दाना खिलाया। नदी तट पर लगे मेले में परिवार संग आए लोग झूलों का आनंद लेते, पिकनिक मनाते और खरीदारी करते नजर आए।
उधर, कौशांबी जनपद में भी देव दीपावली का विशेष महत्व रहा। नगर, शहर, कस्बे से लेकर गांव-गांव तक घरों, मंदिरों और घाटों पर दीप जलाए गए। लोग गंगा-यमुना के पवित्र जल में स्नान कर पुण्य लाभ लेते दिखे।
पौराणिक कथा: त्रिपुरासुर वध और त्रिपुरारी शिव
शिवपुराण के अनुसार, राक्षस तारकासुर के तीन पुत्र तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली ने कठोर तपस्या कर ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया था। उन्होंने मांगा कि उनकी मृत्यु तभी हो जब तीनों एक पंक्ति में हों, अभिजीत नक्षत्र का समय हो और एक ही तीर से तीनों का वध हो। इस वरदान के बाद तीनों ने मिलकर त्रिपुरासुर बनाया और तीनों लोकों में आतंक मचा दिया। देवता, ऋषि-मुनि और मनुष्य सभी उनके अत्याचारों से त्रस्त थे।

जब अत्याचार असहनीय हो गया, तो देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की। बाबा भोलेनाथ ने पृथ्वी को रथ, सूर्य-चंद्रमा को पहिए, मेरु पर्वत को धनुष, वासुकी नाग को प्रत्यंचा और भगवान विष्णु को बाण बनाकर युद्ध का संकल्प लिया। अभिजीत नक्षत्र के सटीक क्षण में एक ही तीर से तीनों असुरों का संहार कर दिया। इस विजय के बाद देवताओं ने दीप जलाकर उत्सव मनाया, जिसे देव दीपावली या त्रिपुरारी पूर्णिमा कहा गया। तभी से भगवान शिव को त्रिपुरारी के नाम से पूजा जाता है।
प्रकाश का पर्व, पापों का नाशमान्यता है कि इस दिन जलाया गया दीप अंधकार को मिटाता है, पापों से मुक्ति दिलाता है और जीवन में सुख-समृद्धि लाता है। यह पर्व केवल काशी तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे भारत में भक्ति, पुण्य और प्रकाश की विजय का प्रतीक बन चुका है।







