आपकी आँखों देखी: अनुराग प्रकाश
धीरे धीरे सूरज की रोशनी खत्म हो रही थी। मैं अपने क्रोक कैम्प पर बैठा चाय का आनंद ले रहा था तभी कैम्प के कोने में जहाँ पीछे के खेत मे अभी भी गन्ना लगा हुआ है तीतर की तीव्र आवाज़ से पूरा कैम्प गूंज गया।
हम उठ कर उन्हें देखने पीछे गए तो देखा एक तीतर का जोड़ा तेज़ आवाज़ करते हुए गन्ने के खेतों में गुम हो गया। तभी कैम्प पे मुझे बाहर बैठा देखकर खेत मे चौकीदारी करने जा रहा एक गांव का मिलने वाला आकर मेरे पास बैठ गया और हालचाल पूछने के बाद बताने लगा कि कल रात उसके गेहूँ के खेत मे बाघ ने किसी जानवर को मारा है।
फिर उसने बताया कि रात को चीतल बहुत तेज चिल्ला रहे थे सुबह जब मैं खेत पर गया तो गेहूँ में किसी जानवर को खींचे जाने की वजह से खेत मे एक लाइन सी बन गई थी । उतनी जगह का गेहूँ बिल्कुल दब गया था।
मैंने उस गांववाले से कहा कि मैं कल सुबह तुम्हारे खेत पे आके वो जगह देखना चाहूंगा। वो बोला ठीक है आप जरूर आएगा, ये कह कर वो अपने खेत की रखवाली के लिए चला गया। अब पूरा अंधेरा हो चुका था पास से सियारो ने जोरदार आवाज़ के साथ माहौल को और रोमांचक बना दिया दूसरी तरफ से भी सियारो ने आवाज़ का जवाब देते हुए अपनी उपस्थिति दर्ज की।
अब हम लोग भी अपने डिनर के इंतजाम में लग गए थे। जंगल के आसपास मानव चहल पहल अब बिल्कुल खत्म हो चुकी थी और जंगल के बाशिंदों की चहल पहल शुरू हो चुकी थी। इस तरह एक और दिन अपनी समाप्ति पर था।