एक बार की बात है जंगल में एक भेड़िया बहुत ही भूखा प्यासा भटक रहा था। बहुत देर भूखा प्यासा भटकने के बाद भेड़िये को शिकार के लिए एक जानवर दिखा और भेड़िये ने जानवर को मारकर खा लिया जब भेड़िया जानवर को खा रहा था तो भेड़िये के गले में जानवर की हड्डी फंस गई। बहुत प्रयास करने के बाद भी भेड़िये के गले से हड्डी नहीं लगी। गले में हड्डी को लेकर परेशान होने के बाद इधर उधर घूमने लगा कहानी की कोई गले से हड्डी निकलने में मेरी मदद कर दे पर कोई भी जानवर भेड़िये की मदद करने को तैयार नहीं
था।
बहुत देर तक भटकने के बाद भेड़िये को एक सारस मिला भेड़िये अपनी सारी समस्या सारस को बताई। इसके बाद सारस ने कहा की अगर मैं तुम्हारी मदद करूँ तुम मुझे क्या दोगे। जिसके बाद भेड़िये ने कहा अगर तुम मेरी मदद करते हो मैं तुम्हें इनाम दूंगा । इनाम के लालच में सारस भेड़िये की मदद को तैयार हो गया।
अब सारस ने अपनी लम्बी चोंच को भेड़िये के मुंह में डालकर गले में फंसी हड्डी को बाहर निकाल दिया। जैसे ही सारस ने गले में फंसी हड्डी को बाहर निकाला भेड़िया बहुत खुश हुआ और जाने लगा। यह देखकर सारस ने कहा की तुमने तो कहा था की मदद करने के बदले में मुझे इनाम दोगे और तुम तो जा रहे हो यह तो गलत है।
इसके बाद भेड़िये ने सारस से कहा की तुमने मेरे मुंह में अपनी गर्दन डाली और इसके बाद तुम सही सलामत बचे हुए हो यही तुम्हारा इनाम है । यह सुनकर सारस बहुत दुखी हुआ।
कहानी की सीख : इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की हमें स्वार्थी लोगों का साथ नहीं देना चाहिए। जीवन में हमेशा स्वार्थी लोगों से सावधान रहें।