मोती महल लान में आजादी का अमृत महोत्सव थीम पर लखनऊ का 18वां राष्ट्रीय पुस्तक मेला:
कविताओं की गूंज के बीच ‘हारी नहीं हूँ नारी हूँ मैं‘ और ‘काव्य मकरन्द‘ का लोकार्पण
एक संवेदनशील स्त्री की कथा के बहाने भीतर उमड़ते घुमड़ते जीवंत और ज्वलंत सवालों को पुस्तक उठाया है अमिता नीरव ने अपनी किताब माधवी- आभूषण से छिटका स्वर्ण कण में। जया जादवानी का उपन्यास देह कुठरिया लैंगिक भेद के आधार पर जीवन की त्रासदियों और विडम्बनाओं का आकलन करती है। औरत होने की सजा जैसी किताब लिखने वाले अरविंद जैन की स्त्री विमर्श और कानूनों पर ताजा किताब बेड़िया तोड़ती स्त्री नारी स्वातंत्र्य के नये संदर्भों का आख्यान सामने रखती है।
मोतीमहल वाटिका लान राणाप्रताप मार्ग लखनऊ में 10 अक्टूबर तक चलने वाले 18वां राष्ट्रीय पुस्तक मेले के सौ से ज्यादा स्टाल यूं तो स्त्री-पुरुष के अबूझ सम्बंधों पर रची किताबों से भरे पड़े हैं, पर इन किताबों में उकेरे गये शब्दों में बहुत कुछ ऐसा नया है जो यहां आने वाले पुस्तक प्रेमियों को पिछले छह दिनों से बराबर आकृष्ट कर रहा है।
वजय यह भी कि यहां न्यूनतम 10 प्रतिशत छूट मिल रही है और वाणी, राजकमल, सेतु, सम्यक, निखिल, इकतारा ट्रस्ट जैसे प्रतिष्ठित प्रकाशनों के स्टाल यहां सजे हुए हैं। साथ ही ममता कालिया की महिला लेखक के सौ वर्ष जैसी पुस्तकों के संग महिला साहित्य और महिला विमर्श की सैकड़ों किताबें शारदीय नवरात्र की वेला पर पाठकों का आह्वान कर रही हैं। मोती महल लॉन में चल रहे पुस्तक मेले के छठे दिन साहित्यप्रेमियों की भीड़ रही।
सेतु प्रकाशन समूह के स्टॉल पर माधवी उपाध्याय की अमिता नीरव, जया जादवानी की अनकहा अख्यान, मीनाक्षी सिंह की खेला, रश्मि भारद्वाज की मैंने अपनी मां को जन्म दिया पुस्तकों की चर्चा है।
अन्य किताबें कलाकुंज के स्टॉल पर दादी मां की होम रेमडीज, के अलावा अन्य स्टॉलों पर कुकरी, बागवानी, जूट के बैग इत्यादि के बैग, हस्तशिल्प के उत्पाद मौजूद हैं। सह-संयोजक आस्था ढल ने बताया कि देश के प्रमुख प्रतिष्ठित पुस्तक मेलों में शामिल यह पुस्तक मेला वृहद् साहित्य उत्सव का रूप ले चुका है। साहित्यिक सांस्कृतिक संस्थाएं अपने आयोजनों के लिए बराबर सम्पर्क कर रही हैं और हम चाहते हुए भी उन्हें शामिल नहीं कर पा रहे हैं।