जी के चक्रवर्ती
रूस और यूक्रेन के बीच आज युद्ध जैसी स्थिति क्यों बनी हुई है? और इसके पीछे क्या कारण है? जहां तक इसके कारण की बात करें तो दरअसल कभी सोवियत संघ के विघटन से पूर्व रूस के हिस्सा रहे रह चुके यूक्रेन, “नार्थ अटलांटिक ट्रेटरी ऑर्गैजेशन” यानिकि NATO देशों के संगठन का सदस्य देश बनना चाहता है लेकिन यूक्रेन के इस फैसले का रूस द्वारा विरोध किये जाने के बावजूद यूक्रेन NATO देशों का सदस्यता ग्रहण करना चाह रहा है जिसके कारण रशिया यूक्रेन के विरुद्ध हथियार उठाने के लिये मजबूर हुआ है,
दरअसल NATO, अमेरिका और पश्चिमी देशों का एक सैन्य महागठबन्धन है। जबकि रूस अमेरिका का घोर विरोधी देश है जिसके कारण रूस कदापि यह नही चाहेगा कि उसका एक दुश्मन देश उसके पड़ोसी देश जिसकी सीमाएं उसके देश से लगी हुई हो वह NATO का मित्र देश बन जाये। आज यूरोपीय देश यूक्रेन और रूस के बीच तनाव अब तक के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है।
चूंकि पूर्व सोवियत संघ के सदस्य और आबादी के लगभग छठा हिस्सा रूसी मूल के लोगों का होने के कारण यूक्रेन का रूस के साथ गहरा सामाजिक एवं सांस्कृतिक जुड़ाव है। इसी बात को लेकर रूस की सेना यूक्रेन पर हमले करने की तैयारी में लगी हुई है। रूस ने यूक्रेन से सटी हुई अपनी सीमा पर एक लाख से भी अधिक सैनिकों को तैनात कर उस पर दवाव बनाने की कोशिश करने मे लगे रहने के साथ ही रूस यूक्रेन पर आक्रमण नही करने की बात भी कर रहा है लेकिन इसे लेकर सीमा पर तनाव दिन प्रति दिन बढ़ता चला जा रहा है और सही कहें तो इसमे अमेरिका भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
अभी हाल ही में अमेरिका की ओर से यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य मदद की मंज़ूरी मिलने के बाद वहां अमेरिका द्वारा हथियारों की पहली खेप भी पहुंचा दिया जिससे यहां का माहौल पहले से और अधिक तनाव ग्रस्त हो गया है। पिछले 3 फरवरी 2022 के दिन राष्ट्रपति बाइडन द्वारा दिये गए एक भाषण में उन्होंने कहा था कि यूक्रेन में रूस की सेना के किसी भी घुसपैठ को उस पर “हमला” माना जाएगा।
वहीं यदि अमेरिका और उसके सहयोगी पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाये जाते हैं तो उस दशा में भारत अपने पक्ष को स्पष्ट करते हुये कहा कि ‘वह रूस के खिलाफ किसी भी तरह के आर्थिक प्रतिबंध का पक्षधर नहीं है।
इससे पहले 12 फरवरी के दिन हुये क्वाड मीटिंग में भारत के प्रधान मंत्री मोदी ने इस वक्तव्य से अमेरिका यह अच्छी तरह समझ चुका है कि भारत किसी भी तरह के दवाव में आने वाला नही है मोदी पहले ही यह कह चुके हैं कि भारत किसी भी देश के आगे नही झुकेगा और नही किसी दूसरे देश के दवाव में वह अपने पुराने मित्र का साथ छोड़ेगा।
मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह बात निकल कर सामने आती है कि सभी देश अपने अपने वर्चस्व से प्रेरित होने से कोई भी अपनी जिद नही छोड़ता दिखाई दे रहा है यदि यही स्थिति लगातार बनी रहती है तो युद्ध से इनकार भी नही किया जा सकता है।