Close Menu
Shagun News India
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Friday, June 13
    Shagun News IndiaShagun News India
    Subscribe
    • होम
    • इंडिया
    • उत्तर प्रदेश
    • उत्तराखंड
    • राजस्थान
    • खेल
    • मनोरंजन
    • ब्लॉग
    • साहित्य
    • पिक्चर गैलरी
    • करियर
    • बिजनेस
    • बचपन
    • वीडियो
    Shagun News India
    Home»Featured

    फ़िल्मी ज़िंदगी के साथ असल ज़िंदगी में भी संवेदनशील थे अशोक कुमार

    ShagunBy ShagunOctober 27, 2022Updated:October 27, 2022 Featured No Comments6 Mins Read
    Facebook Twitter LinkedIn WhatsApp
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn WhatsApp
    Post Views: 681

    वीर विनोद छाबड़ा

    आज 13 अक्टूबर है. आज ही के दिन 111 साल पहले यानी 1911 में कुमुदलाल गांगुली का जन्म हुआ था. वो बांबे टाकीज़ में लैब असिस्टेंट थे. 1936 की बात है. ‘जीवन नैया’ की शूटिंग चल रही थी. पता चला हीरो भाग गया है. बांबे टाकीज़ की मालकिन और नायिका देविका रानी बौखला गयीं. देविका के पति डायरेक्टर हिमांशु राय की नज़र कुमुदलाल पर पड़ी. देविका को भी वो जंच गये. इस तरह कुमुद हीरो बन गये. लेकिन देविका को कुमुद नाम पसंद नहीं आया. नया नामकरण हुआ – अशोक कुमार.

    Imageअगली फिल्म थी ‘अछूत कन्या’. नायिका फिर देविका रानी. उस ज़माने में देविका रानी बॉक्स ऑफिस पर बहुत बड़ा नाम था. हीरो महज़ खानापूर्ति के लिये होता था. मगर ‘अछूत कन्या’ में देविका रानी के साथ-साथ अशोक कुमार को भी बहुत पसंद किया. उनके कैरियर में ये बहुत बड़ा टर्निंग पॉइंट रहा. यहीं से उनकी देविका रानी के साथ हिट जोड़ी बनी. इज़्ज़त, निर्मला और सावित्री खूब चलीं. अशोक कुमार की लीला चिटनिस के साथ जोड़ी भी खूब बनी – कंगन, बंधन और झूला. उन दिनों प्लेबैक नहीं था. हीरो-हीरोइन को अपने गाने खुद ही गाने पड़ते थे. ‘बंधन’ में उनका गाया ये गाना बहुत मशहूर हुआ था – मैं बन की चिड़िया, बन बन डोलूं रे…..

    Image

    मधुबाला के साथ अशोक कुमार को ‘महल’ और ‘हावड़ा ब्रिज’ में खासा पसंद किया गया. ‘चलती का नाम गाड़ी’ में भी दोनों साथ थे मगर आमने-सामने नहीं. मधु के हीरो किशोर कुमार थे, अशोक कुमार के छोटे भाई. अशोक कुमार ने सबसे ज्यादा फिल्में मीना कुमारी के साथ कीं – परिणीता, बादबान, बंदिश, शतरंज, एक ही रास्ता, सवेरा, आरती, चित्रलेखा, बेनज़ीर, भीगी रात, बहु बेगम, जवाब, पाकीज़ा आदि. दिलीप कुमार भी बॉम्बे टॉकीज़ की देन हैं जहाँ अशोक कुमार पहले से मौजूद थे. एक्टिंग के कई गुर दिलीप ने उन्हीं से सीखे. महबूब ख़ान की ‘दीदार’ में वो साथ साथ आये.

    Imageकई साल बाद 1984 में ‘दुनिया’ में उनका फिर साथ हुआ. जब बीआर चोपड़ा ने ‘नया दौर’ प्लान की तो उनके दिमाग़ लीड रोल में अशोक कुमार ही थे. मगर स्क्रिप्ट सुनने के बाद उन्होंने ये कह कर मना कर दिया कि इसके लिए यूसुफ (दिलीप) ठीक रहेंगे. चोपड़ा साहब ने कहा – वो साल में दो या तीन फ़िल्में करते हैं. अशोक कुमार ने फ़ोन किया – यूसुफ़ इस फिल्म को तुम कर लो. गारंटी है कि तुम्हारे कैरियर में लैंडमार्क बनेगी… दिलीप कुमार के लिए अशोक कुमार का दर्जा ‘भाई साहब’ का था. मना नहीं कर पाए. बाकी तो हिस्ट्री है.

    Image

    अशोक कुमार हमेशा गहरी साँस लेकर डायलॉग बोलते रहे. मैंने कहीं पढ़ा था कि ऐसा करने के पीछे कारण यह है कि एक फिल्म के लिए उन्हें गहरी सांस लेनी थी. उनसे ऐसा हो नहीं पा रहा था. तब उन्हें ठंडा यानी बर्फीला पानी पिलाया गया. सीन तो हो गया मगर उन्हें वाकई साँस लेने में दिक्कत होने लगी. फ़ौरन अस्पताल पहुंचाए गए. पता चला कि ठन्डे पानी से लंग्स में प्रॉब्लम हो गयी है. वो ठीक तो हो गए. मगर उनके लंग्स में परमानेंट प्रॉब्लम हो गयी और गहरी साँस लेकर डायलॉग डिलीवरी करना उनकी एक्टिंग का हिस्सा बन गया.

    अशोक कुमार पहले हीरो हैं, जिन्होंने 1943 में रिलीज़ ‘किस्मत’ में एंटी हीरो का रोल किया था. इसी फिल्म का गाना है यह – दूर हटो ये दुनिया वालो हिंदुस्तान हमारा है….यह फिल्म कलकत्ता में रेकार्ड लगातार साढ़े तीन साल चली. इस बीच अंग्रेज़ी सरकार की कड़ी नज़र रही अशोक कुमार पर. ‘ज्वेल थीफ़’ में उन्होंने विलेन को ‘अंडरप्ले; करके ज्यादा खतरनाक बनाया. जिन्होंने ये मूवी न देखी हो वो ज़रूर देखें कि बहुत सहज रह कर भी कोई बहुत ख़तरनाक़ विलेन रह सकता है. उन्हें ये क्रेडिट भी जाता है कि वो पहले हीरो थे जिन्होंने फिल्मों को थियेटर के प्रभाव से मुक्त करके स्वभाविक अभिनय पर जोर दिया. थिएटर का प्रभाव देखना हो तो आप सोहराब मोदी की फ़िल्में ज़रूर देखें.

    अशोक कुमार के दो अन्य भाई किशोर कुमार और अनूप कुमार ने भी सुनहरे परदे पर खूब नाम कमाया. तीनों भाईयों की ‘चलती का नाम गाड़ी’ सुपर डुपर हिट थी. हालांकि इसमें किशोर कुमार छाए रहे. ‘मेहरबान’ (1967) में वो 555 सिगरेट का डिब्बा रखते थे जो उन दिनों मशहूर विदेशी ब्रांड था. लेकिन अचानक आर्थिक हालात बहुत ख़राब हो गए. ऐशो आराम के कई आईटम छोड़ने पड़े. इसमें सिगरेट भी शामिल थी. उनका सिगरेट छोड़ने का दृश्य बहुत मार्मिक रहा. ज़बरदस्त उहा-पोह से गुज़रना पड़ा. यह कई लोगों के लिए सिगरेट छोड़ने का सबब भी बना. जिन्होंने ये मूवी न देखी हो वो यूट्यूब पर ज़रूर देखें. मेरा दावा है कि अगर आप डाई हार्ड सिगरेट बाज़ हैं तो भी एक बार सिगरेट छोड़ने के बारे में ज़रूर सोचेंगे. और अगर सिगरेट न छोड़ें तो भी दादा मुनि की एक्टिंग के क़ायल ज़रूर हो जाएंगे. उनको प्यार से दादामुनी यानि हीरे जैसा बड़ा भाई कहा जाता था. फ़िल्मी दुनिया में वो इसी नाम से जाने जाते थे. इल्मो-अदब से से भी उनका गहरा नाता रहा. उर्दू के मशहूर अफसानानिगार सआदत अली मंटो उनके गहरे दोस्तों में थे.

    त्रासदी यह रही कि दादामुनि 13 अक्टूबर 1987 को अपना जन्मदिन मना रहे थे. तभी उनको छोटे भाई किशोर की मृत्यु का दुखद समाचार मिला. अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्या गुज़री होगी उनके दिल पर. किशोर उनके लिए भाई नहीं बेटे के समान रहे. वो इतने दुखी हुए कि उन्होंने अपना जन्मदिन मनाना ही छोड़ दिया.

    दादामुनि एक बहुत अच्छे रजिस्टर्ड होम्यापैथ भी थे. कई असाध्य बीमारियों से पीड़ित अनेक रोगियों को ठीक भी किया था. मीना कुमारी ने अपने अंतिम दिनों में जीने की ख्वाईश ज़ाहिर की. वो लीवर सिरोसिस से पीड़ित थीं. दादामुनि ने मीना को यक़ीन दिलाया कि वो उन्हें ठीक कर देंगे. मगर शराब छोड़नी पड़ेगी. मगर अफ़सोस कि मीना ऐसा नहीं कर पायीं. कई खूबियों के मालिक दादामुनि की गिनती अच्छे चित्रकारों में भी होती रही.

    Image
    दादामुनि ने 255 से अधिक फिल्में की. हर फ़िल्म में गज़ब की छाप छोड़ी, चाहे किसी भी किरदार में रहे हों. प्रमुख फिल्में हैं – दीदार, धर्मपुत्र, गुमराह, कानून, धूल का फूल, ज्वेल थीफ, इंतकाम, विक्टोरिया नंबर 203, छोटी सी बात, खूबसूरत, खट्टा-मीठा, शौकीन, पूरब और पश्चिम, अनुराग, नया ज़माना, ममता, दुनिया, मेरे महबूब, सत्यकाम, अनपढ़, चोरी मेरा काम आदि. फिल्म इंडस्ट्री में उनका कितना सम्मान था इसका अंदाज़ा आप इसी से लगा सकते हैं कि किरदार उनका चाहे छोटा रहा हो बड़ा, फिल्म की टाईटिल में उनका नाम हमेशा टॉप पर रहा.

    फिल्मफेयर ने उन्हें ‘राखी’ तथा ‘आर्शीवाद’ के लिये सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और ‘अफ़साना’ के लिये सह-अभिनेता चुना. 1995 में लाईफटाईम एवार्ड दिया. भारत सरकार ने 1989 में सिनेमा में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिये दादासाहब फाल्के एवार्ड से नवाज़ा और 1998 में उन्हें पद्मभूषण से अलंकृत किया. इस महान अभिनेता ने अंतिम सांस 10 दिसंबर 2001 को ली.

    Shagun

    Keep Reading

    बिहारी स्वाभिमान सम्मेलन 2025: मुंबई में प्रवासी बिहारियों का ऐतिहासिक जमावड़ा 14 जून को

    भोजपुरी फिल्म “लाखों में एक हमार भईया” का ट्रेलर रिलीज़, दर्शकों में उत्साह

    प्रदीप पांडे चिंटू के गाने ने यूट्यूब पर बटोरे सबसे ज्यादा व्यू, बड़े सिंगर्स को लगा झटका

    ‘कुस्ती’ का फर्स्ट लुक आउट: पोस्टर में धाकड़ गर्ल अंजना सिंह ने विरोधी को दी पटखनी

    बच्चों को इतिहास, संस्कृति और पर्यावरण से जोड़ेगा यूपी दर्शन पार्क, लखनऊ

    फिल्म ‘नारी’ 6 जून को होगी रिलीज , संजना पाण्डेय और गौरव झा का दिखेगा एक्शन का तड़का

    Add A Comment
    Leave A Reply Cancel Reply

    EMAIL SUBSCRIPTIONS

    Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
    Loading
    Advertisment
    NUMBER OF VISITOR
    94613
    Visit Today : 1648
    Visit Yesterday : 1457
    Hits Today : 13445
    Total Hits : 4545591
    About



    ShagunNewsIndia.com is your all in one News website offering the latest happenings in UP.

    Editors: Upendra Rai & Neetu Singh

    Contact us: editshagun@gmail.com

    Facebook X (Twitter) LinkedIn WhatsApp
    Popular Posts

    गहलोत-पायलट में मोहब्बत की मिठास कब तक

    June 12, 2025

    क्लाइमैक्स अभी बाकी है: सोनम किसी तीसरे शख्स के साथ भागना चाहती थी?

    June 12, 2025

    यह हैं दुनिया के 10 सबसे खतरनाक जानवर: खासियत जानकार हैरान रह जायेंगे आप

    June 12, 2025

    जीवन को दो शर्तों पर जिया जाना चाहिए!

    June 11, 2025

    कैम्पटी फाल्स: खूबसूरत प्रकृति की गोद में नहाने का मज़ा ही कुछ और

    June 11, 2025

    Subscribe Newsletter

    Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
    Loading
    Privacy Policy | About Us | Contact Us | Terms & Conditions | Disclaimer

    © 2025 ShagunNewsIndia.com | Designed & Developed by Krishna Maurya

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

    Newsletter
    Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
    Loading