दुख न हो तो व्यक्ति का विकास न हो. आपके सारे सद्गुणों की परख दुख और संकट के समय में ही होती है. महान लोगों का जीवन देख लीजिए, सब दुख में पैदा हुए, उसी में पले–बढ़े और उसी में मर गये. जो सुख के माहौल में पैदा हुए उन्होंने दुख को आमंत्रित कर लिया. बुद्ध दुख न उठाते तो कभी बुद्ध न बनते. रामजी दुख न उठाते तो कभी पूज्य न होते. अर्जुन विषाद में न पड़ते तो गीता हमलोगों को कभी न मिलती. बोलिए, मिलती क्या?