लघुकथा
एक किसान पेड़ के नीचे पानी गर्म कर रहा था। वह जिस बर्तन में पानी गर्म कर रहा था उसी में एक मेंढक गिर गया। उस वक्त पानी ज्यादा गर्म नहीं था इसलिए मेंढक पानी का मजा ले रहा था। कुछ देर बाद पानी गर्म होने लगा तो मेंढक भी पानी के तापमान के अनुसार अपनी त्वचा को संतुलित करने लगा। कुछ देर के बाद पानी ज्यादा मात्रा में गर्म हो गया और मेंढक के लिए उसमें रहना मुश्किल हो गया। मेंढक ने सोचा कि वह इस पानी से बाहर निकलेगा।
पानी से बाहर निकलने के लिए छलांग लगायी पर वह वापस उसी बर्तन में गिर गया। दूसरी बार भी प्रयत्न किया फिर भी वह बाहर नहीं निकल पाया। बहुत बार प्रयत करने के बाद भी वह मेढक वापस उसी बर्तन में गिर जाता था। आखिर में पानी ज्यादा गर्म होने के कारण मेंढक को अपने प्राण गंवाने पड़े। मेंढक पानी से बाहर नहीं आ पाया क्योंकि उसने अपनी सारी ताकत उस बर्तन के गर्म पानी को सहने में गँवा दी थी।
जब उसने बाहर आने का सोचा था तब बहुत ज्यादा वक्त बीत गया था और उसके पास उस बर्तन में से बाहर निकलने के लिए ताकत ही नहीं बची थी। अगर उसने ये फैसला पहले लिया होता तो बड़ी आसानी से बाहर आ सकता था। जिंदगी में सिर्फ सही फैसला लेना ही नहीं, उसको सही वक्त पर लेना भी महत्वपूर्ण होता है।