कश्मीरी नौजवान भारत में अशांति फैलाने की पाकिस्तानी कोशिशें आज से नहीं बल्कि बरसों से चल रही हैं। इसके लिए वह तरह-तरह के हथकंडे भी अपनाता रहता है। खासतौर से कश्मीर और पंजाब में यह काम करने के लिए आईएसआई की भूमिका किसी से छिपी नहीं है। वह भाड़े के आतंकियों को प्रशिक्षण से लेकर हथियार तक देती आई है और उन्हें सीमा पार करवा कर कश्मीर से आतंकवाद फैलाती रही है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अब ये तथ्य भी सामने आया है कि आईएसआई कश्मीर में आतंकवाद को स्वदेशी आंदोलन का रंग देने की रणनीति पर काम कर रही है। यह ज्यादा चिंता की बात इसलिए भी है कि इसके लिए वह पढ़ाई के लिए कश्मीर से पाकिस्तान जाने वाले नौजवानों का इस्तेमाल कर रही है। इस साजिश का खुलासा पिछले कुछ समय में आतंकवादी अभियानों में मारे गए कुछ नौजवानों के बारे में गहराई से छानबीन के दौरान हुआ।
गौरतलब है कि पाकिस्तान से पढ़ कर सत्रह कश्मीरी नौजवान घाटी लौटे थे और फिर वे यहां आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हो गए। ये सभी वैध दस्तावेजों के आधार पर पाकिस्तान गए थे और वहां के शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई कर रहे थे। पिछले दो दशकों से कश्मीरी नौजवान इंजीनियरिंग, चिकित्सा जैसे पाठ्यक्रमों और उच्च शिक्षा में दाखिले के लिए पाकिस्तान जा रहे हैं। इसका एक बड़ा कारण पाकिस्तान के शिक्षा संस्थानों में रूस या अन्य देशों यहां तक कि भारत के मुकाबले भी फीस कम होना बताया जाता है। फिर वहां का माहौल भी कश्मीरियों को ज्यादा मुफीद लगता है।
मुस्लिम देश होने की वजह से वहां कश्मीरियों को बाहरी भी नहीं समझा जाता। इससे कश्मीरी विद्यार्थियों के बीच असुरक्षा का भाव भी पैदा नहीं होता। लेकिन पाकिस्तान में कश्मीरी छात्रों का पढ़ने जाना भारत के लिए बड़ा संकट बन गया। पता चला कि वहां से लौटे छात्र आतंकी गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं। ऐसे में कश्मीरी नौजवानों को पाकिस्तान के चंगुल से बचाना भारत के लिए कम बड़ी चुनौती नहीं है। यह काम जितनी जल्दी हो सके, किया जाना चाहिए।