अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस: उपभोक्ता परिषद ने पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन से मध्यांचल में समान काम समान वेतन की दिशा में 19 जनपदों के लिए आउटसोर्सिंग वाले लगभग 88 करोड के टेंडर पर रोक लगाने की प्रक्रिया पर पुनर्विचार करने की उठाई मांग। कहां संविदा कार्मिकों को भी अपनी जीविका चलाने का है पूरा अधिकार
लखनऊ, 01 मई: आज अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर उपभोक्ता परिषद ऊर्जा क्षेत्र में कार्यरत संविदा कर्मियों जो किसी भी सेवा में कार्य कर रहे हो के दर्द को बयां करते हुए कहा निश्चित ही ऊर्जा सेक्टर का संविदा कार्मिक उपभोक्ता सेवा को बेहतर बनाने में अपना योगदान देता है ऐसे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश समान काम समान वेतन के तहत ऊर्जा निगम को समान कार्य के लिए समान वेतन के सिद्धांत का पालन करना चाहिए क्योंकि संविदा कार्मिक को भी अपनी जीविका चलाने के लिए एक उचित वेतनमान दिया जाना चाहिए।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा विगत दिनों इस दिशा में एक प्रयास मध्यांचल विद्युत वितरण निगम द्वारा किया गया था वहां पर टेंडर के माध्यम से 19 जनपदों में काम करने वाले आउटसोर्स कार्मिकों के वेतनमान में थोडा सा सुधार दिखा था क्योंकि जो कंप्यूटर आपरेटर व संविदा कार्मिक 10 वर्षों से ज्यादा से लगभग रुपया 1100 रुपए में नौकरी कर रहे थे उन्हें लगभग 22500 व ए ग्रेड वाले संविदा कार्मिकों को लगभग 26000 तक का वेतन मिलने का एक आदेश टेंडर के माध्यम से जारी हुआ लेकिन आनन फानन में आचार संहिता के बीच लगभग 88 करोड के इस टेंडर को निरस्त कर दिया गया जिस पर पावर कारपोरेशन को पुनर्विचार करना चाहिए क्योंकि किसी भी कंपनी से ही सही यदि संविदा कार्मिकों को समान काम समान वेतन की दिशा में कोई प्रयास किया गया जो सफल होने वाला था तो उसे पर रोक नहीं लगाया जाना चाहिए। सही मामले में आज मजदूर दिवस पर पावर कारपोरेशन को अपनी गलती में सुधार करना चाहिए।
उपभोक्ता परिषद ने कहा सभी ऊर्जा निगमन में फिजूल खर्ची बंद करके ऊंची दरों पर हो रहे टेंडर पर रोक लगाकर बहुत ही आराम से संविदा कर्मी को समान काम समान वेतन की सुविधा देकर उनसे जवाब देही के तहत परिणाम लिया जा सकता है और जिसका लाभ प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को भी मिलेगा।