जी के चक्रवर्ती
हिन्दू संप्रदायों में रिश्तों को सदैव महत्व दिया जाता रहा है। हमारा हिन्दू सामाजिक व्यवस्था हमारे पूर्वजों जैसे देव-ऋषि आदि जनों ने मिलकर इंसानों के लिए एक सामाजिक परिपार्टी का निर्माण कर इंसानों को दो वर्गों के लोगों यानिकि स्त्री पुरुष के मध्य एक सामाजिक बंधन की अटूट सिमा रेखा है, नही तो हम इंसानों का समाज भी अन्य पशु – पक्षी जंगली जीवो की भांति अपने दैनिक जीवन की क्रिया कलापों को अंजाम देते रहते, वहीं पर हम मानवीय सभ्यता के अनुरूप जगत के अन्य प्राणियों के मध्य रिश्तों की नतो कोई व्यवस्था है और नही कोई महत्व है।
इस बार 6 नवम्बर के दिन अर्थात शनिवार के दिन भाई दूज पर्व मनाया जायेगा। भाई दूज का यह पावन त्यौहार को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।
हमारे पूर्वजो द्वारा हमारे इंसानी जीवन में एक सामाजिक मान मर्यादा बनाये रखने के लिये एक व्यवस्था प्रदान किया है, जिसके अन्तर्गत दीपावली के त्यौहार के ठीक दो दिन के बाद भैया दूज का पर्व मनाया जाता है।
वैसे तो दीपावली का त्यौहार पांच पर्वों जैसे – धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और यमद्वितीया आदि मनाया जाता हैं। वैसे भैया दूज का त्यौहार हमारे धार्मिक रचनावलियों के अनुसार सर्व प्रथम “यमुना” ने अपने भाई यमराज के हाथ रक्षा सूत बंधा कर उनसे यह वरदान प्राप्त किया कि वे सब तरह के पापों से मुक्त होकर सब बंधनों से छुटकारा पा जाएंगे और अपनी इच्छा के अनुसार सन्तोषपूर्वक जीवन व्यतीत करें। वहीं हमारे भारत में इसी त्यौहार को रक्षाबंधन के रूप में भी मनाये जाने की परम्परा भी मौजूद है।
इसलिये यह पर्व पांच त्यौहार का संगम भी है और इसी से जुड़ा हुआ एक पर्व भैया दूज भी है। यह पर्व हिन्दू समाज में भाई-बहन के मध्य पवित्र रिश्तों का प्रतीक पर्व है। भैया दूज यानी भाई-बहन के रिश्ते के मध्य एक प्यार के धागे के बंधन का पर्व है। यह पर्व घर-घर में मानवीय रिश्तों के मध्य के सम्बंधो को पुनः पुनः स्मरण दिला कर सम्बन्धो के मध्य नवीन ऊर्जा का संचार करता है। इस दिन बहनों के मन मे अपने भाई के प्रति उमंग प्रेम और उत्साह का संचार करता है, बहने अपने प्यारे भाइयों के टीका लगाने को बहुत आतुर दिखती हैं।
हमारे देश मे एक ही त्यौहार अलग अलग राज्यों में अलग-अलग तरह से मनाई जाती है, जैसे पश्चिम बंगाल राज्य में भाई दूज को भाई फोटा पर्व के नाम से जाना जाता है। महाराष्ट्र और गोवा में भाई दूज को भाऊ बीज के नाम से मनाया जाता है।
उत्तरप्रदेश में भाई दूज के मौके पर बहनें भाई का तिलक कर उन्हें आब और शक्कर के बताशे देती हैं। देश के बिहार राज्य में भाई दूज पर एक अनोखी तौर-तरीके से मनाया जाता है। यहां पर इस दिन को बहनें अपने भाइयों को डांटती हैं और उन्हें भला-बुरा कहती हैं और फिर उनसे माफी भी मांगती हैं। वास्तव में यह परंपरा भाइयों द्वारा पहले किया गया गलतियों के मद्देनजर किया जाता है और उसके बाद बहनो द्वारा अपने भाई को तिलक लगाकर उन्हें प्रेमपूर्वक मिठाई भी खिलाती हैं।
हमारे भारतीय संस्कृति की सबसे शालीन एवं सात्विक यह प्राचीन पर्व है। यह पर्व मात्र भाई-बहन के रिश्तों को निभाने मात्र का त्यौहार नहीं है, बल्कि इसका संपूर्ण मानवीय संवेदनाओं से एक गहन रिश्ता भी है। भाई और बहन के रिश्ते को यह फौलाद की भांति मजबूती देने वाला आदर्शों की ऊंची दीवार स्वरूप एक प्राचीर है। भारतीय सांस्कृतिक परम्पराओं की एक अद्वितीय कड़ी स्वरूप रीति-रिवाजों का अति सम्मानित एक ऐसी व्यवस्था है, जो भाई-बहन के मध्य पवित्र रिश्ते को पुनः स्थापित कर पूरे विश्व को एकता, सौहार्द एवं प्रेम के एक सूत्र में बांधने तथा सभी मनुष्यों को पवित्रता के बंधन में बंध कर मानवीय मूल्यों और चरित्र व्यवहार के सर्वोच्च शिखर तक पहुंचता है।