लखनऊ। प्रख्यात रंगकर्मी अभिनेता बिमल बनर्जी नहीं रहे, बिमल बनर्जी रंगजगत मेँ बिमल दा के नाम से जाने जाते थे। 84 वर्षीय बिमल दा पिछले कुछ दिनों से प्रोस्टेट और गॉल ब्लैडर की बीमारी से पीड़ित थे और कुछ दिनों अस्पताल मे भर्ती रहने के बाद आज शाम 30.10.23 को उन्होंने पुराना किला स्थित निज निवास लखनऊ मेँ अंतिम सांस ली। वो अपने पीछे पत्नी कृष्णा बनर्जी, बेटी केया और दामाद तथा नाती छोड़ गए हैं।
बिमल बनर्जी दर्पण लखनऊ रंग संस्था के संस्थापक सदस्य थे, उन्होंने मास्साब प्रोफेसर सत्यमूर्ति जी की प्रेरणा से थपलियाल जी, स्वदेश बंधु, माया गोविंद आदि कलाकारों के साथ सन 1971 मेँ दर्पण लखनऊ की स्थापना की थी। अभी हाल ही मेँ 18 मई 2023 को दर्पण हीरक जयंती नाट्य समारोह के दौरान उन्हें प्रो० सत्यमूर्ति सम्मान से उत्तर प्रदेश के उप मुख्य मंत्री श्री बृजेश पाठक ने सम्मानित भी किया था।
श्री बिमल बनर्जी दर्पण के सचिव भी रहे और दर्पण के कई नाटकों मेँ यादगार अभिनय कर दर्पण को स्थापित करने मेँ उनकी महती भूमिका रही। स्टेज के अतिरिक्त वह रेडियो और दूरदर्शन के प्रथम श्रेणी के कलाकार थे। सत्तर -अस्सी के दशक के लखनऊ रंगमंच के सुनहरे दौर के वो सबसे लोकप्रिय एवं श्रेष्ठ अभिनेता जाने जाते थे। उन्होंने दर्पण के साथ ख़ामोश अदालत जारी है, स्टील फ्रेम, एवं इंद्रजीत, किसी एक फूल का नाम लो, पाँचवाँ सवार, आषाड़ का एक दिन, अंधा युग, बूढ़ा, सूर्य की अंतिम किरन से सूर्य की पहली किरन , गुफ़ाएं तक जैसे अनेक चर्चित नाटकों मे अपने अभिनय की अमिट छाप छोड़ी थी। बाद मेँ उन्होंने अपनी नाट्य संस्था अवध थिएटेरिकल कंपनी से भी हॉस्टल और डंक जैसे नाटक किए। उन्हें कई नाटकों के लिए बेस्ट ऐक्टर का एवार्ड भी मिला।
दर्पण और समस्त लखनऊ के रंगकर्मियों की ओर से बिमल दा को भाव भीनी रंग श्रद्धांजलि दी है।