यूरोपीय संघ नई इस्लामी अमीरात की सरकार को मान्यता दे: तालिबान
अफगानिस्तान में तालिबान की अंतरिम सरकार बनने के बाद से एक के बाद एक विचित्र घटनाएं घट रही हैं। महिलाओं के अधिकारों के हनन की बात तो है ही, सरकार चलाने के तौर-तरीकों पर भी सवाल उठ रहे हैं। वहां मानवाधिकारों के उल्लंघन पर यूरोपीय संघ के आरोपों के बाद अब तालिबान सौदेबाजी पर उतर आया है। यह अपने बात में हैरतअंगेज बात है। तालिबान ने कहा है कि पहले यूरोपीय संघ नई इस्लामी अमीरात की सरकार को मान्यता दे। इसके बाद हम मानवाधिकारों पर ईयू की चिंताओं को दूर करेंगे।
तालिबान के कार्यवाहक कैबिनेट के सूचना और संस्कृति मंत्रालय के उप मंत्री जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि अगर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय नई सरकार को मान्यता देता है तो वे मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों पर चिंताओं को दूर करेंगे। मुजाहिद ने कहा कि हमें जाने बिना अधिकारों के उल्लंघन को लेकर हमारी आलोचना की जाती है। यह एकतरफा दृष्टिकोण है। यह उनके लिए अच्छा होगा कि वे हमारे साथ जिम्मेदारी से व्यवहार करें और हमारी वर्तमान सरकार को एक जिम्मेदार प्रशासन के रूप में मान्यता दें। जहां एक ओर तालिबान मान्यता के लिए सौदेबाजी पर उतर आया है तो वहीं दूसरी ओर सरकार के अंतर्द्वन्द्व सामने आ रहे हैं। इस बारे में एक रिपोर्ट बताती है कि अंतरिम सरकार में उप प्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर और सरकार में शामिल हक्कानी नेटवर्क के बीच गहरे मतभेद उभर आए हैं।
कहा तो यहां तक जा रहा है कि राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक बैठक के दोनों गुटों के बीच जमकर मारपीट हुई और गोलियां चली जिसमें कुछ लोग जख्मी भी हुए। पश्चिम मीडिया की खबरें अब संकेत दे रही हैं कि हक्कानी गट ने बरादर को अगवा कर लिया है। जिस समय पश्चिमी मीडिया में बरादर के अगवा होने का संदेह जताया जा रहा था. लगभग उसी समय तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कुछ जातीय समुदायों के नए मंत्रियों के नामों की घोषणा की है जिनमें एक भी महिला का नाम शामिल नहीं है।
उन्होंने फिर वही पुराना राग दोहरा दिया कि औरतों को सरकार में शामिल करने के मसले पर विचार हो रहा है। कहने की जरूरत नहीं कि तालिबान अभी कई मामलों पर भ्रम की स्थिति में है या तो अपना पुराना स्टैंड बदलने के लिए तैयार नहीं है। यह बात आगे चलकर दिक्कत ही पैदा करेगी।