आजाद हिंद फौज के स्थापना दिवस पर विशेष
नवेद शिकोह
ये तस्वीर लखनऊ के मूल निवासी स्वर्गीय अमारत शिकोह साहब की है। ये आज़ाद हिन्द फौज के सिपाही ही नहीं बल्कि नेता जी सुभाष चंद बोस का दाहिना हाथ कहे जाते थे। नेता जी इन्हें अपनी फौज का सबसे भरोसेमंद और वफादार सिपाही कहते थे। देश की आजादी के बाद श्री शिकोह सेना मे रहे। विश्व युद्ध में शामिल हुए। बाद में पुलिस में भर्ती हो गये। आगरा, फिरोजाबाद और अलीगढ़ में पोस्टिंग रही। नेता जी की बातें.. विश्व युद्ध में भारतीय सैनिकों की जांबाजी और पुलिस की चुनौतियों के किस्से मैंने भारत के इस जांबाज सपूत की गोद में बैठ कर सुने हैं। ये मेरे सगे बड़े चचा (ताऊ) थे। सरपरस्त थे।
लेकिन फ्रीडम फाइटर के परिजनों को मिलने वाली किसी भी तरह का एक टके का भी फायदा हमारे खानदान के किसी भी मेंबर ने नहीं उठाया। गौर तलब बात ये है कि हमारे बहुत बड़े खानदान की तीन पीड़ियों में चचा अमानत शिकोह साहब के बाद एक को भी सरकारी नौकरी नसीब नहीं हुई।
दुनिया के करीब आधा दर्जन देशों के 8-10 स्टेट्स मे फैला हमारा आधा खानदान विदेशों मे है और आधा अपने वतन भारत में। कोई अमेरिका में साइंटिस्ट रहा, कोई डाक्टर, कोई दुबई के बैंकिग ग्रुप का सीईओ, तो कोई इंडिया की मल्टी नेशनल कंपनी का ओहदे दार, कोई मामूली प्राइवेट कंपनी में मामूली मुलाजिम, कोई गरीब बेरोजगार, कोई लेखक और कोई सहाफी। लेकिन नेता जी सुभाष चंद बोस के वफादार सिपाही.. विश्व युद्ध के योद्धा.. पुलिस अधिकारी.. के पद पर रहने वाले अमारत शिकोह जैसे देशभक्त/फ्रीडम फाइटर के कुंबे के एक भी पढ़े-लिखे फर्द को सरकारी नौकरी नहीं मिली। और ना श्री शिकोह की संतानों या उनके किसी करीबी रिश्तेदार ने पेंशन या किसी भी किस्म का का लाभ लेने के लिए किसी भी सरकार के आगे हाथ फैलाया।
हमे बेहिज़ सरकारों से कोई गिला नहीं बस फख्र है कि गुलाम हिन्दुस्तान को आजाद कराने के लिए हमारी पीढ़ियों का खून और पसीना हमारे हिन्दुस्तान की मिट्टी मे पेवस्त है। आजाद भारत में हमारी खिदमात मुसलसल जारी है। और योरोप देशों से लेकर खाड़ी देशों में अपनी विशिष्ट सेवाओं के साथ स्वर्गीय अमारत शिकोह के परिवार के सदस्य अपने भारत का नाम रौशन कर रहे हैं।
जय हिंद