डॉ दिलीप अग्निहोत्री
कांग्रेस का दलित प्रेम भी उफान पर है। आव देखा न ताव इस मुद्दे पर उसके नेता उपवास पर जा बैठे। वह भूल गए कि उपवास के लिए नैतिक और आत्मबल की आवश्यकता होती है। इसी का घोर अभाव है। झूठ पर आधारित राजनीति को हवा दी जा रही है, अपने को दलितों की हितैषी और नरेंद्र मोदी को दलितों का दुश्मन बताया जा रहा है। ऐसे झूठ के बाद महात्मा गांधी के मार्ग पर चलने की कल्पना भी नहीं कि जा सकती। उपवास ने यह साबित कर दिया।
लेकिन कांग्रेस, बसपा आदि से यह सवाल तो होगा, क्या कारण है कि पचास साल में भी डॉ आंबेडकर से संबंधित पांच तीर्थो को सम्मान नहीं मिल सका। यह कार्य नरेंद्र मोदी ने किया। फिर भी वह दलितों के दुश्मन है।
क्या कारण है कि दलितों की भौतिक उन्नति के इतने कार्य पहले नहीं हुए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने तो केंद्र की योजनाओं पर अमल करके दलितों के कल्याण का कीर्तिमान बनाया है। एक वर्ष में इतना कार्य पहले कभी नहीं हुए।
चुनाव के पहले सभी राजनीतिक पार्टियों की सक्रियता बढ़ जाती है। इस समय एकदम से दलित वर्ग का मुद्दा गरमाया जा रहा है। खासतौर पर कांग्रेस और बसपा अपने को दलितों की सबसे बड़ी हितैषी बताने का अभियान चला रही है। अपनी तारीफ के साथ साथ ये भाजपा को दलित वीरोधी बता रही है।
लेकिन इनकी यह राजनीति तथ्यों की कसौटी पर झूठी साबित हो रही है। इनके पास इस बात का जबाब नहीं है कि डॉ आंबेडकर से संबंधित पांच तीर्थों को पहले सम्मान क्यों नहीं मिल सका। यह कार्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया।
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह कि दलितों को केवल आरक्षण, प्रमोशन, एससी एसटी एक्ट आदि तक सीमित रखा गया। पिछली सरकार जानती थी कि सरकारी नौकरी लगातार कम हो रही है। इसकी शुरुआत तभी हो गई थी जब मनमोहन सिंह केंद्र में वित्त मंत्री बने थे। आरक्षण का लाभ भी इस समय दलित वोट के लिए बसपा और कांग्रेस बेहाल है। बसपा की नजर उत्तर प्रदेश तक सीमित है, कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश में कुछ नहीं है, अन्य प्रदेशों में उसकी जद्दोजहद चल रही है ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे भाजपा का सौभाग्य मानते हैं कि लगातार प्रयासों के बाद बाबा साहब से जुड़े तीर्थ स्थलों को पंचतीर्थ के रूप में विकसित करने में सफलता मिली। आंबेडकर की जन्मस्थली महू, महाराष्ट्र में इन्दू मिल चैतन्य भूमि पर स्मारक के विकास, नागपुर में दीक्षास्थल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकसित करने, दिल्ली में बाबा साहेब के महापरिनिर्वाण स्थल और पन्द्रह जनपथ पर स्मारक बनाने का सपना भी इसी सरकार ने पूरा किया।
महू में स्मारक को मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने भव्य रूप दिया है। इस स्मारक की आधारशिला मध्य प्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदर लाल पटवा ने ही रखी थी। वह भी भाजपा के थे। उसके बाद कांग्रेस को यहां लंबे समय तक शासन करने का अवसर मिला। लेकिन इन ओर उचित ध्यान नही दिया गया।
महाराष्ट्र में भाजपा सरकार बनने के बाद दीक्षा भूमि को ए क्लास पर्यटन स्थल का दर्जा दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर बाबा साहेब की एक सौ पच्चीस वीं जयंती वर्ष में ये एलान किया गया। यह मांग बहुत पुरानी थी। ए क्लास का दर्जा पाने के बाद से दीक्षा भूमि का तीव्र विकास शुरू हो गया है। स्मारक स्थल को विश्वस्तरीय बनाया गया।
मुम्बई में चैतन्य भूमि पर बाबा साहब अम्बेडकर स्मारक को विकसित करने का काम भाजपा सरकार ने किया। इसमें कई अवरोध पैदा हुए। खासकर इन्दू मिल से बारह एकड़ जमीन का मामला सालों से अटका पड़ा था। जमीन हस्तांतरित करने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही थी। जब महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से उन्होंने केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी के सहयोग से यह कार्य किया। कुछ दिन पहले को यह काम भी हो गया। महाराष्ट्र सरकार ने इंदू मिल की जमीन खरीदकर यहां स्मारक स्थल बनाने का सपना साकार किया।
नयी दिल्ली के जनपथ मार्ग पर अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर तैयार किया गया। राजधानी दिल्ली के छब्बीस अलीपुर रोड स्थित बंगले में डॉ अम्बेडकर का महापरिनिर्वाण हुआ। यहां अनूठे आकार वाली बिल्डिंग की नींव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी। यह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी की कल्पना थी। वह भी भाजपा के थे। प्रधानमंत्री मोदी ने स्मारक के उद्घाटन की तारीख भी बता दी थी। यह समय भी आ गया। चौदह अप्रैल को इसका उद्घाटन होगा।
पंच तीर्थ के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चौदह नवंबर, दो हजार पन्द्रह को लंदन में अम्बेडकर स्मारक का उद्घाटन किया। महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने उस तीन मंजिले घर को खरीदा, जहां डॉ. अम्बेडकर रहा करते थे। आठ सौ करोड़ रुपये खर्च कर उसे संग्रहालय में बदल दिया गया है। ये सभी कार्य बहुत पहले हो जाने चाहिए थे। लेकिन जो आज दलित हितैषी होने का दम भर रहे है, उनकी इसमें कोई दिलचस्पी नही थी।
इतना ही नही नरेंद्र मोदी ने दलितों, वंचितों को स्वावलंबी बनाने के अनेक कारगर प्रयास किये। उनकी विभिन्न योजनाओं ने करोड़ो की संख्या में दलितों का जीवन स्तर सुधारा है। मायावती अपने पांच और योगी आदित्यनाथ के एक वर्ष की तुलना करें तो उन्हें शर्मिदा होना पड़ेगा।
योगी आदित्यनाथ की सरकार ने दलितों सुवीधाएँ देने के बेजोड़ कार्य किये है। पहली बार सौभाग्य योजना के तहत दलितों को बत्तीस लाख कनेक्शन, सैंतीस लाख राशन कार्ड, प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत छह लाख पचास हजार गरीब दलितों को आवास, जबकि कुल आवास आठ लाख पच्चासी हजार है। अगले कुछ वर्षों में अनुसूचित जाति , जनजाति के सभी परिवारों को पक्का मकान उपलब्ध कराने पर सरकार कार्य कर रही है। चालीस लाख शौचालय में छतीस हजार दलित परिवारों को मिले।
उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में पच्चीस उच्च अधिकारी दलित है। प्रमुख सचिव स्तर के एक दर्जन से ज्यादा अधिकारी दलित है। समाज कल्याण विभाग की ओर से दी जाने वाली छात्रवृत्ति में दलितों का हिस्सा सत्तर प्रतिशत है। सपा शासन में अल्पसंख्यकों पर ज्यादा मेहरबानी होती थी। पन्द्रह सौ अतिपिछड़े, अतिदलित लोगो के गाँव पूरी तरह उपेक्षित थे। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने वहां सभी मूलभूत सुवीधाएँ पहुंचाई है। भाजपा के दलित सांसद कौशल किशोर का सीधा आरोप है कि मायावती ने डॉ आंबेडकर के मिशन को पीछे छोड़ दिया है। सपा सरकार ने दलित अधिकारियों को पदावनत किया। मायावती ने उसी सपा से गठबन्धन कर लिया।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले आदेश दिया था कि जिन आपीसी धाराओं में सात साल तक कि सजा का प्रावधान है, उसमें तत्काल गिरफ्तारी न कि जाए। ऐसे ही एससीएसटी एक्ट में विवेचना के बाद चार्जशीट दाखिल होती है, फिर गिरफ्तारी होती है। लेकिन कांग्रेस, बसपा जैसी पार्टियां भ्रम पैदा कर रही है। लेकिन जब तथ्यों पर बात होगी तो ये पार्टियां कठघरे में दिखाई देंगी।
.लेखक वरिष्ठ पत्रकार है