नई दिल्ली, 17 अगस्त 2018: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अंतिम यात्रा में आज पूरे देश से जनसैलाब उमड़ पड़ा, उनका अंतिम संस्कार आज शाम चार बजे दिल्ली के राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर किया जायेगा। अटल जी का अंतिम संस्कार स्मृति स्थल में किया जाएगा जो देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के स्मारकों के बीच स्थित है। वाजपेयी का पार्थिव शरीर उनके सरकारी आवास छह, कृष्ण मेनन मार्ग पर रखा गया था। बता दें कि श्री वाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद 93 वर्ष की उम्र में गुरुवार शाम एम्स में निधन हो गया।
संस्मरण: अटल जी का लखनऊ से था गहरा नाता
संस्मरण: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का लखनऊ से बहुत पुराना और गहरा रिश्ता रहा है। वह यहां के पांच बार सांसद भी रहे हैं। वर्ष 1995 में लखनऊ के महापौर पद के लिए भाजपा प्रत्याशी डॉक्टर से राय की चुनावी सभा में अटल जी ने कहा था। लखनऊ की नागरिक समस्याएं बड़ी विकट स्थिति में है, लखनऊ बीमार है। गोमती मर रही है अब इनके समाधान के लिए लखनऊ को एक सर्जन की जरूरत है। मैं एक डॉक्टर को लेकर आया हूं। जिन्होंने मेरी भी चिकित्सा की है उनकी चिकित्सा के कारण मैं स्वस्थ हूं और आपके सामने खड़ा हूं, और ठीक से खड़ा हूं। डॉक्टर मरीज को दवा देकर ठीक करने का प्रयास करेंगे। यदि सफलता हासिल करने में नाकामयाबी मिलती है तो चीरफाड़ करने से भी नहीं चूकेंगे।

अटल जी ने बनारस से सीखा पत्रकारिता का पहला पाठ:
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने पत्रिकारिता का ककहरा बनारस से ही सीखा। उनके अंदर के कवि को भी बनारस से ही सबसे पहले प्रतिष्ठा मिली थी। करीब 6 से 7 दशक पहले बनारस से ‘समाचार पत्र’ का नाम अखबार प्रकाशित हुआ करता था। एक आना के इस प्रातः कालीन अखबार के संपादक मोहनलाल गुप्ता भैया जी बनारसी हुआ करते थे। संस्कृति और राजनीतिक संस्कार विषय उनके आलेख सबसे पहले समाचार अखबार में ही प्रकाशित हुए। अखबार के साप्ताहिक अंक में अटल जी की कई आरंभिक कविताओं को भी भैया जी बनारसी ने समाचार में स्थान दिया।

इसके उपरांत अटल बिहारी वाजपेई ने स्वदेश नामक समाचार पत्र के लिए संवाददाता पद के लिए काम किया और ‘स्वदेश’ बनारस का एकमात्र सांध्य समाचार पत्र हुआ करता था। स्वदेश के लिए अटल जी ने टाउन हॉल में होने वाले संगीत परिषद के राष्ट्रीय आयोजन कवरेज भी की थी और इसमें अटल जी एक सफल और सशक्त संपादक के रूप में भी प्रतिष्ठित हुए। उन्होंने राष्ट्र धर्म 5000 और वीर अर्जुन जैसी राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत पत्रिकाओं का सफल संपादन किया।

अटल जी ने ऐसे निभाए संबंध:
राजनीति में बड़े मुकाम पर पहुंचने के बाद भी अटल जी ने भैया जी बनारसी को याद रखा। भैया जी के पुत्र राजेंद्र गुप्त बताते हैं कि एक बार उनके चाचा के दोनों बच्चियों संजय और संगीता को डिप्थीरिया बीमारी हो गई थी। उन दिनों बनारस में डिप्थीरिया का इंजेक्शन उपलब्ध नहीं था। बिना इंजेक्शन के दोनों बच्चों की जान बचना संभव नहीं था। ऐसे में काफी संकोच करते हुए भैया जी ने अटल जी से संपर्क किया। तब अटल जी ने विदेश मंत्री हुआ करते थे। अटल जी ने उस दिन अपने करीबी व्यक्ति को विमान से 12 इंजेक्शनों के साथ बनारस भेजा जिसके बाद दोनों बच्चे ठीक हो गए।