कोरोना ने जब प्रत्येक व्यक्ति के जेवण को प्रभावित किया तो इससे अछूते वन्यप्राणी भी नहीं हैं। अब देखिये न लॉकडाउन से इंसान ही नहीं बल्कि जानवरों का जीवन भी प्रभावित होता है, यह बात प्राणि उद्यान के वन्य प्राणियों की हालत को देखकर समझा जा सकता है। दर्शकों की भीड़ घटने के साथ ही आबोहवा भी बदल गई है और इससे उनका जीवन भी प्रभावित हुआ है। लॉकडाउन ने चिड़ियाघर के वन्य जीवों के व्यवहार पर भी असर डाला है।
एक खबर के मुताबिक, हरियाली भी बढ़ी है जिससे वन में होने का एहसास बढ़ गया है। इन जीवों के मुताबिक ही आबोहवा भी हो गई है। दिन के समय अपने बाड़े के पीछे बने कमरे में रहने वाले शेर, चीते अब बेधड़क घूम रहे हैं। मोर भी खूब चहक रहे हैं। इस तरह इन वन्य जीवों को भरपूर प्राकृतिक माहौल मिल रहा है और इसका वे अपने हिसाब से आनन्द भी ले रहे हैं। ये बात स्वाभाविक भी है। वन्य प्राणियों को एक अलग तरह का वातावरण चाहिए होता है जो उनको वनों में ही मिलता है।
प्राणि उद्यानों में हालांकि उस तरह का वातावरण बनाने की कोशिश की जाती है लेकिन कई कारणों से वैसा हो नहीं पाता है। दरअसल दर्शकों को भी खुद भी इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए कि वन्य जीवों के साथ जबरदस्ती के रूप में कोई भी छेड़छाड़ नहीं होने पाए। वन्य जीव प्राकृतिक वातावरण में रहने के आदी होते हैं और उनको उसी के अनुसार रहने देना चाहिए।
इस लिहाज से यह नियम अच्छा बनाया गया है जिसमें वन्य जीवों को गोद लेने का प्रावधान किया गया है। इससे उनका रखरखाव जिम्मेदारी से होता है। यदि इन जीवों को प्राकृतिक ढंग से रहने की व्यवस्था का अधिकतम निर्धारण हो सके तो यह उनके लिए ही और भी अधिक बेहतर होगा। ऐसा होने पर उनकी स्वाभाविकता भी और अधिक बढ़ सकेगी।