जी के चक्रवर्ती
पूरी दुनिया में पहले सार्स फिर कोरोना संक्रमण का पहला आक्रमण फिर दूसरा और अब तीसरे आक्रमण के प्रकोप को लेकर दुनिया के वैज्ञानिकों ने फिर से यह कहा हैं कि कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर में स्थित प्रयोगशाला से निकल कर वारावरण में फैलने से इस वायरस ने पूरी दुनिया मे तबाही मचायी है। अब तो दुनिया के वैज्ञानिको ने चीन के वुहान शहर से निकला इस वायरस को चीन द्वारा निर्मित एक जैविक हथियार के रूप में देख रहे है लेकिन वहीं पर चीन इस वायरस के लिए जिम्मेदारी से इनकार करते हुए इस बात को सिरे से खारिज कर चुका है,
अभी हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर निशाना साधते हुये कहा कि चीनी वायरस कोरोना वुहान की प्रयोगशाला से निकल कर दुनिया के 73 लाख इंसानो के मौत के मुहँ में ढकेलने का जिम्मेदार चीन को मानते हुये उसे दुनिया को 10 ट्रिलियन डॉलर मुआवजा के रूप में अदा करने की बात उन्होंने कहा है।
वही पर अब हवाना सिंड्रोम जैसी नयी बीमारी के रूप में लेजर वेपन या लेजर गाइडेड हथियारों का प्रयोग किये जाने वाली बातें सामने निकल कर आ रही है। जहां तक इस नये बीमारी के रूप में इस अस्त्र की बात करें तो इसके आक्रमण से प्रभावित होने वाले व्यक्ति में उल्टी सर में दर्द, सर्दी, जुखाम, जी मिचलाने, नाक बहना जैसे विमारी से पीड़ित हो जाता है। अमेरिका की राष्ट्रीय विज्ञान समिति द्वारा यह खुलासा किया गया था कि इन लक्षणों वाली बीमारी के बारे में सबसे पहले वर्ष 2016 में क्यूबा की राजधानी हवाना में पता चला था।
हवाना में अमेरिकी दूतावास के कई अधिकारी व सीआईए के जासूसों को इस अस्त्र के माध्यम से निशाना बनाया गया है। लेकिन यहां यह प्रश्न उठता है कि आखिर वह कौन सा इतना शक्तिशाली देश है जो इसतरह के अस्त्र का प्रयोग कर विशेषतः अमेरिका के CIA जैसे गुप्तचर संगठन के उच्च अधिकारियों को निशाने पर लेने की हिम्मत करेगा।
आज हवाना सिंड्रोम का उपयोग एक अस्त्र के रूप में किया जाने लगा है और इस अस्त्र के निशाने पर अमेरिकी के उप राष्ट्रपति कमला हैरिस भी थी। पिछले 24 अगस्त 2921 को जब अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस वियतनाम के दौरे पर जाने वाली थी लेकिन जैसे ही उन्हें यह पता चला कि वियतनाम की राजधानी हनोई में हवाना सिंड्रोम विमारी से कईं वियतनामी पीड़ित हैं तो उन्होंने तुरन्त वहां पर जाने का अपना दौरा रद कर दिया।
दुनिया के सबसे बड़े रहस्यमयी हमलों में से एक हवाना सिंड्रोम ने आज भारत मे भी दस्तक दे चुकी है। अंतराष्टीय न्यूज संस्थान CNN और न्यूयार्क टाइम्स के एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका गुप्तचर एजेंसी के निदेश अमेरिकी CIA के निदेशक विलियम जे. बर्न्स ने जब तालिबान पर चर्चा करने भारत यात्रा पर आये थे तो उनके साथ आये एक एजेंट में रहस्यमयी बीमारी के लक्षण देखे जाने से हड़कंप मच गया था। अमेरिका पहुंचते ही उनका परीक्षण हुआ तो जांच में उस एजेंट के शरीर में हवाना सिंड्रोम के लक्षण पाये गये।
चीन के वुहान शहर का नाम भले ही बीजिंग या शंघाई जैसे शहरों की लिस्ट में न हो लेकिन दुनिया के नक़्शे पर इसका अपना एक अलग वजूद है।
चीन का वह वुहान शहर जहां से कोरोना संक्रमण जैसी महामारी की शुरुआत हुई है, वास्तव में वह एक ऐसा चीनी महानगर है जो दुनिया के सभी हिस्सों से जुड़ा हुआ है।
चीन की दुनिया के मानवता और मानवीय प्राणों से खिलवाड़ करने की सजा उसे अवश्य मिलना चाहिये। कियूंकि पूरी दुनिया को कोरोना वायरस देने वाला चीन अब तक यह दावा करता रहा है कि यह वायरस पर किस तरह का काम उसके द्वारा नही किया, लेकिन कोरोना वायरस पर चीन के दावों को स्वीकार करने के लिये दुनिया के कोई देश तैयार नहीं है। क्योंकि अब पूरी दुनिया से उठती आवाजो में बस एक ही प्रश्न है कि जिस चीन में कोरोना वायरस पैदा हुआ है वो स्वमं इसके असर से इतना सुरक्षित कैसे रह सकता है? कैसे चीन में 6 से 8 ही महीनो में जिंदगी पुनः पटरी पर आ गई, जबकि भारत समेत दुनिया के कई अन्य देश 2 वर्षो से भी अधिक समय से इस वायरस के प्रभाव से पैदा होने वाली बीमारी से संघर्ष करते चले आ रहे है।
एक और नये वृत्तांत के खुलासे से कोरोना वायरस को लेकर चीन के इरादों पर शक और भी गहरा जाता है कि वर्ष 2015 में आयी एक और रिपोर्ट जो इस घटनाक्रम से सीधे जुड़ी हुई है, उस संमय तक दुनिया के लोग इस कोरोना वायरस के घातक प्रभाव से पूरी तरह से अनभिज्ञ थे, लेकिन चीन उसी समय कोरोना वायरस को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने के विषय मे परीक्षण कियूँ कर रहा था?
चीनी सैन्य वैज्ञानिकों ने तो यहां तक कह दिया है कि तीसरा विश्व युद्ध इस तरह के जैविक हथियारों से ही लड़ा जाएगा।
अमेरिकी विदेश विभाग को प्राप्त हुए एक खुफिया दस्तावेजों के मीडिया रिपोर्ट में ब्रिटेन के ‘द सन’ समाचार पत्र और ऑस्ट्रेलिया के ‘द ऑस्ट्रेलियन’ समाचार पत्र में यह दावा किया है कि अमेरिकी विदेश विभाग के हाथ लगे एक ‘बॉम्बशेल’ यानीकि विस्फोटक जानकारी के अनुसार चीनी सेना PLA के कमांडर द्वारा इस तरह की कुटिल पूर्वानुमान व्यक्त किया जा रहा है।
एक अमेरिकी अधिकारी के हाथ लगे कथित दस्तावेज जो वर्ष 2015 में चीनी सैन्य वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा लिखे गए थे, जो वैज्ञानिक स्वयं कोविड-19 के विषय में जांच कर रहे थे।
चीनी वैज्ञानिकों ने सार्स, कोरोना वायरस की चर्चा ‘जेनेटिक हथियार के नए युग’ की शुरुआत के तौर पर की है, कोविड इसका एक जीता जागता उदाहरण है। PLA के दस्तावेजों में इस बात की भी चर्चा की गई है कि एक जैविक हमले से शत्रु की पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था ही ध्वस्त किया जा सकता है। पीएलए के इस दस्तावेज में अमेरिकी वायुसेना के कर्नल माइकल जे के द्वारा किये गये एक अध्ययन का भी उल्लेख मिलता है कि तृतीय विश्वयुद्ध जैविक हथियारों के बल पर ही लड़ा जाने वाला है।
इस रिपोर्ट में यह भी संशय व्यक्त किया गया है कि वर्ष 2003 में जिस SARS का चीन पर अटैक हुआ था वो हो न हो एक जैविक हथियार ही है जिसे आतंकियों द्वारा तैयार किया गया था। इन्ही कथित दस्तावेजों में इस बात का भी उल्लेख मिला है कि इस वायरस की संरचना में कृतिम रूप से परिवर्तन भी किया जा सकता है जिससे इंशानो में बीमारी पैदा करने वाले वायरस में बदलाव कर इसका इस्तेमाल एक ऐसे हथियार के रूप में किया जा सकता है जिसे दुनिया ने इससे पहले कभी भी नहीं देखा हो।
यहां आपको यह बता दें कि Covid-19 का सबसे पहले मामला वर्ष 2019 में संज्ञान में आया था। इसके बाद से इस बीमारी ने एक वैश्विक महामारी का रूप धारण कर लिया था।
इस खुलासे के पश्चात आस्ट्रेलियाई राजनेता जेम्स पेटरसन द्वारा यहां तक कहा गया कि इन दस्तावेजों ने कोविड-19 की उत्पत्ति के विषय में चीन की पारदर्शिता निसंदेह और भी अधिक चिंताजनक संदेह उत्पन्न करती है।