पितृपक्ष और नवरात्र में अध्यात्म की राह दिखा रहीं किताबें
लखनऊ, 5 अक्टूबर 2021: पुस्तक मेले के पांचवें दिन साहित्यप्रेमियों की भीड़ रही। मोती महल लॉन में चल रहे पुस्तक मेले में मंगलवार को देर शाम तक साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित हुए। मेले में कला-संस्कृति, साहि़त्य, राजनीति, पाठ्यक्रम और प्रतियोगी परीक्षाओं के अलावा बच्चों व महिलाओं की भी सैकड़ों पुस्तकें हैं।
भारतीय पुस्तक न्यास के बुक स्टॉल के आकाश अत्री ने बताया कि हमारे पास विभिन्न विषयों के अलावा धर्म-अध्यात्म व योग पर आधारित पुस्तकें हैं। जिसमें रमेश बिजलानी की फेमस एलजेब्रस्ट ऑफ वर्ल्ड, रमेश पोखरियाल निशंक की हिमालय में विवेकानंद, आदि शंकरम, शंकराचार्य व दुनिया जब नई-नई थी मौजूद हैं।
राष्ट्रीय पुस्तक मेला में विश्वम फाउंडेशन द्वारा विश्वम युवा महोत्सव के तहत हुए कार्यक्रम में नन्हें-मुन्ने बच्चों ने गायन, नृ्त्य के हुनर दिखाया..श्रेया सिंह ने कविता पाठ, गुंजन भाटिया ने गीत, शिवांगी व अनंत ने नृत्य कर प्रशंसा पाई। हर्षिता ने लता मंगेशकर का चर्चित गीत सत्यम शिवम सुंदरम सुनाया।
भारतीय भाषा प्रतिष्ठान राष्ट्रीय परिषद की ओर से विनोद दीक्षित की किताबें मैं और मेरा संघर्ष व भगवान से मांगना नहीं लेना सीखो का विमोचन हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महेश चंद्र द्विवेदी, प्रो उषा सिन्हा और कई साहित्यप्रेमी मौजूद थे।
मेले के मुख्य मंच पर ही लेखिका अलका प्रमोद के काव्य संग्रह “चेहरे की लकीरें“ का विमोचन और उपन्यास “जागृति उद्घोष “पर चर्चा हुई।
अलका प्रमोद ने कहा कि,“ चेहरे की लकीरें“ जीवन के विविध रंगों पर आधारित मुक्त छंद कविताओं का संग्रह है।
वाणी प्रकाशन ग्रुप से प्रकाशित लेखक डॉ. अरुण कुमार त्रिपाठी की नयी पुस्तकें ’नवनाथ’, ’नाथ सम्प्रदाय : दर्शन कथा नाथपन्थ की’, और ’नाथ सम्प्रदाय : युवा कल्याणार्थ नाथपन्थ’ का लोकार्पण व परिचर्चा का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में माननीय हृदयनारायण दीक्षित, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश विधानसभा, प्रो. गिरीश चन्द्र त्रिपाठी, अध्यक्ष, उच्च शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश पूर्व कुलपति, बीएचयू और आर. एन बनर्जी, पूर्व वरिष्ठ अधिकारी, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया मौजूद थे।
शाम को राजकमल प्रकाशन की ओर से दिलीप पांडेय और चंचल शर्मा की लिखी पुस्तकों पर चर्चा हुई। जिसमें आईएएस डॉ.हरिओम, लेखक वीरेंद्र सारंग, प्रो.रत्ना श्रीवास्तव ने टपकी और बूंदी के लट्टू, काल सेंटर और खुलतीं गिरहे पर प्रकाश डाला। राजकमल की ओर से किस्सागो अभिषेक शुक्ल व हिमांशु बाजपेयी के साथ ‘शायरी और किस्सागोई की एक शाम दो लखनउओं के संग’ शीर्षक चर्चा हुई। यहां किस्सा-किस्सा लखनऊवा और अभिषेक श़ुक्ल की हर्फ ए आवारा पुस्तकों पर साहित्यप्रेमियों ने प्रकाश डाला। इसके आलोचना का स्त्री पक्ष पुस्तक पर सामाजिक कार्यकर्ता व लखनऊ यूनिवर्सिटी की पूर्व कुलपति रुपरेखा वर्मा, कथाकार अखिलेश, लेखक विशाल श्रीवास्तव ने प्रकाश डाला।