डॉ दिलीप अग्निहोत्री
गोरक्षपीठ ने सन्यास व समाज सेवा और शास्त्र व व शस्त्र के बीच भारतीय चिंतन के अनुरूप समन्वय स्थापित किया है। इस पीठ के सभी पीठाधीश्वरों ने सन्यास के साथ ही समाज सेवा को महत्व दिया। वर्तमान पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ इस परम्परा का बखूबी निर्वाह कर रहे है। विजय दशमी उत्सव की गोरक्ष पीठ में विशेष परम्परा रही है। वैसे भी इस दिन शस्त्र पूजन किया जाता है।
गोरखनाथ मंदिर में शस्त्र पूजन किया गया। शस्त्र पूजन के बाद ही योगी के शिष्य मठ के यही शस्त्र लेकर उनकी शोभायात्रा में शामिल हुए। इसके पहले योगी आदित्यनाथ ने मुख्य मंदिर में श्रीनाथ जी एवं सभी देव विग्रहों का विशिष्ठ पूजन किया। इसके बाद उन्होंने गोशाला में गाय का पूजन किया। गऊ माताओं को गुड़ चना खिलाने बाद उन्होंने अपना नवरात्र व्रत को पूर्ण किया। योगी आदित्यनाथ नाथपंथ की शीर्ष संस्था अखिल भारतवर्षीय अवधूत भेष बारह पंथ योगी महासभा के अध्यक्ष भी हैं। इसी पद पर वह दंडाधिकारी की भूमिका में होते हैं। इस रूप में वह संतो के आपसी विवाद का समाधान करते हैं। विजय दशमी के दिन उन्होंने इस दायित्व का भी निर्वाह किया।
विजय दशमी के अवसर पर गोरक्षपीठाधीश्वर की भव्य शोभायात्रा भी प्रसिद्ध है। इसमें बड़ी संख्या में लोग सहभागी होते है। पीठाधीश्वर के रूप में शोभायात्रा का नेतृत्व योगी आदित्यनाथ ने किया। उन्होंने भगवान राम का राजतिलक किया। शोभायात्रा मानसरोवर मंदिर पहुंची। यहां उन्होंने महादेव का पूजन किया। इसके बाद उनकी शोभायात्रा मानसरोवर रामलीला मैदान पहुंची। यहां चल रही रामलीला में वह प्रभु श्रीराम का राजतिलक किया गया। गोरक्ष मंदिर में सहभोज का भी आयोजन किया गया। यह सामाजिक समरसता का प्रतीक है।