पटना : चमार महासभा, बिहार के तत्वावधान में बोधिसत्व, समतावादी, जाति-पांति विरोधी रविदास जी महाराज की 646 वीं जयंती समारोह का आयोजन पटना के रविंद्र भवन में किया गया, जिसका उद्घाटन चमार महासभा के राष्ट्रीय संयोजक श्री संजय कुमार मंडल द्वारा किया गया. इसकी अध्यक्षता बिहार चमार महासभा के प्रदेश अध्यक्ष श्री बालेन्द्र दास द्वारा किया गया।
इस अवसर पर श्री संजय मंडल ने कहा कि बिहार में अनुसूचित जाति की कुल 23 जातियां हैं, जिनमें चमारों की संख्या लगभग 35 प्रतिशत है। यह आबादी राज्य की कुल आबादी की पांच प्रतिशत से ज्यादा है और राज्य की एक जाति के हिसाब से तीसरी सबसे ज्यादा आबादी वाली जाति है। दुःख की बात है कि इस जाति में जगजीवन राम के बाद इस जाति का कोई बड़ा नेता आज नहीं है, जिसके कारण राजनैतिक रुप से यह जाति उपेक्षित हो गया है। बिहार में यथा स्थितिवादियों द्वारा इस जाति को हासिये पर धकेलने के लिए अनैतिक तरीकों का उपयोग किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि यह जाति रक्षा, शासन और प्रशासन, रोजी-रोजगार हर क्षेत्र में पिछड़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिन दिनों डॉक्टर नहीं थे, अस्पताल नहीं थे, उस समय चमार जाति की महिलायें आज के प्रक्षित डॉक्टरों की अपेक्षा अधिक कुशल नर्सिंग का कार्य करती थी किन्तु उनका कार्य नीची निगाहों से देखा जाता था। आज उस कार्य में मोटा वेतन मिलने लगा है। तो हमारी महिलाओं को उस कार्य से अलग कर दिया गय है। बिहार में सरकार ने ममता और आके रूप में हमारे समाज की महिलाओं को नियोजित किया है. जहां उनसे काम अधिक लिया जाता है और पैसा जीने भर का भी नहीं मिलता है।
उन्होंने कहा कि हमारे समाज के लोग प्राकृतिक रूप से कारीगर थे। आदिकाल में जब सभ्यता का विकास भी नहीं हुआ था। लोग खाली पैर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते थे। उस जमाने में चमारों ने जानवरों के खाल से शरीर ढकने के लिए कपड़ा बनाया, पैरों को बचाने के लिए जूता बनाया और लोगों को एक नई पहचान दी।
ज्ञात हो कि प्राचीन काल में जूतों की बनावट और डिजाईन से लोगों केद और गोत्र की पहचान होती है। आज वहीं जूता बनाने और पॉलिस करने के पेनीचता का बोधक हो गया। दूसरी और जूता बनाने का कार्य आज बड़े कारखानों में होने लगा है, जहां चमार ही जूता बनाता है किन्तु उसे उसकी क्षमता और योग्यता से कम पैसे दिए जाते हैं। आगे उन्होंने कहा कि राजनीति में चमारों को अछूत बना दिया गया है। अधिक दल चमारों को बसपा समर्थक बताकर टिकट उनकी संख्या के अनुपात में बहुत ही कम देते हैं जिस कारण लोक सभा और विधान सभा में उनका आनुपातिक प्रतिनिधित्व कम है। आज जरुरत है कि चमारों को राजनीतिक भागीदारी के लिए संगठित होना चाहिए।
जयंती समारोह की अध्यक्षता करते हुए श्री बालेन्द्र दास ने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य नौकरी ठिका पट्टा आदि क्षेत्रों में चमारों की भागीदारी लगातार कम होती जा रही है। चमारों के साथ छुआ-छूत एक अभिशाप बन गया है। चमार एक गाली बनकर रह गया है। बात बात में लोग चोर-चमार कहकर हमारे समाज को अपमानित करने का कार्य करते हैं। हर प्रकार के गैर बराबरी और भेदभाव के खिलाफ हमारे लोग संघर्ष करते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हमारे संत शिरोमणि गुरु रविदास जी महाराज हैं जिन्होंने आज से लगभग 646 वर्ष पहले जाति-पांति, छुआछूत, गैर बराबरी के खिलाफ समाज को जगाने का कार्य किया था। उन्होंने एक ऐसे राज्य की परिकल्पना की थी जिसमें खुशहाली और लोगों के बीच किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं हो। उन्होंने अपने जातिगत पे को भी गरीमा प्रदान किया था। उनके साथ शास्त्रार्थ करने के बाद ब्राह्मणों ने अपनी हार मान ली। उनकी ख्याति देश और विदेश में हुई। उस जमाने के राजा-रानी उनके ष्य बनने लगे। इस कारण लोगो ने उनकी हत्या करवा दिया और तालाब में फेंकवा दिया। उनके बुद्धवादी विचारों को आम जनता के सामने नहीं लाया गया है। इसलिए हमारी निम्नांकित मांगे हैं:-
1. बिहार के सभी वि वविद्यालयों में संत रोमणि गुरु रविदास जी विचारों पर अनुसंधान करने के लिए रविदास विचार अध्ययन एवं अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की जाए।
2. पटना में रविदास आश्रम की जमीन पर रविदास छात्रावास एवं पुस्तकालय की स्थापना की जाए। 3. रविदास समाज को उनके हुनर को निखारने के लिए प्रतिक्षण केन्द्र की स्थापना की जाए तथा उनको रोजगार से जोड़ा जाए।
4 रविदास समाज के परम्परागत पेशा को अधिक व्यवसायिक एवं रोजगार परक बनाने हेतु हेतु पटना में एक संस्थान की स्थापना की जाए।
इस कार्यक्रम में कमेश्वर कुमार, मिथिलेश कुमार, प्रो अरुण कुमार, गोल्डन अंबेडकर विनोद कुमार गौतम, रूबल रविदास, नरेश रविदास, जयचंद्र राम मौजूद रहे।