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    मोबाइल के आगे बच्चे अब नहीं सुनते दादा- दादी, नाना- नानी से कहानियां

    ShagunBy ShagunNovember 28, 2022 Featured No Comments2 Mins Read
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    टेक्नोलॉजी अब बहुत तेजी से विकसित हो चुकी है ऐसे में अब परस्पर रिश्तों के संवाद घटते जा रहे हैं घर में लोग अब एक दूसरे से बातचीत और खेलकूद बहुत कम करते हैं इसकी वजह हैं मोबाइल फ़ोन और टीवी ! ऐसे में बेहद जरुरी हैं एक दूसरे से संवाद करना और एक दूसरे का ख्याल रखना।

    उधर कामकाज के कारण माता-पिता बच्चों पर खास ध्यान नहीं दे पाते। ऐसे में घर के बुजुर्ग दादा-दादी, नाना- नानी से कहानियां कौन सुने या फिर उनका बीते लम्हे या उनकी सही सीख कौन सुने !

    असल में घर में माँ बाप के न रहने से बच्चों का मार्गदर्शन बड़े बुजुर्ग ही करते हैं उन्हें सही रास्ता दिखाते हैं। बच्चों की अच्छे से देखभाल करके वह उनके दोस्त भी बन जाते हैं। आजकल पुरुष व स्त्री दोनों ही कामकाजी होते हैं।

    ऐसे में दादा- दादी, नाना- नानी का साथ बच्चों का न केवल अकेलापन दूर करता है बल्कि, पेरेंट्स का भी तनाव दूर करता है। वे बच्चों की टेंशन लिए ऑफिस का कामकाज संभाल लेते हैं, क्योंकि वे जानते हैं घर में दादा दादी उनके बच्चे का बेहतर ख्याल रख रहे होंगे। छोटी उम्र में बच्चों को खेलने और किसी के साथ बात करने की जरुत भी होती है। ऐसे में दादा-दादी बच्चों की इस कमी को भी पूरा करते हैं, वह बच्चों के अच्छे दोस्त बनकर उन्हें शिक्षा देते हैं। दादा-दादी बच्चों को नई-नई बातें भी सिखाते रहते हैं।

    बुजुर्ग हमेशा परंपरा और संस्कृति से जुड़े रहते हैं। ऐसे में वे अपने पोता पोती को भी संस्कार देना चाहते हैं। मां बाप के पास इतना समय नहीं होता है कि वह अपने बच्चों को अपनी संस्कृति से जोड़ सकें। ऐसे में दादा दादी बच्चों को छोटी उम्र में ही मंत्र, श्लोक आदि सुनाते हैं ताकि बच्चे अध्यात्म की ओर भी ध्यान लगाएं। दादा-दादी बच्चों को हैल्दी रखने में भी पूरा सहयोग देते हैं। वह उन्हें अपने साथ टहलने के लिए ले जाते हैं।

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