बच्चों का विशेष दिन 14 नवंबर ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। 14 नवंबर को ही हमारे भारत मे बाल दिवस के रूप में क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे कुछ कारण है वह यह कि इस दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जन्म हुआ था, चूंकि नेहरू जी को बच्चों से बहुत लगाव था इस लगाव में किसी तरह की जाति या धर्म की बात नही आती थी बल्कि देश का कोई भी बच्चा है तो उससे वे असीम लगाव व प्रेम रखते थे, इसलिए बच्चे उन्हें स्नेहवस चाचा नेहरू बुलाया करते थे।
बाल दिवस को विशेष कर बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ से लेकर उनके अधिकारों के सम्बन्ध में समाज के जनमानस को जागरुक करने के लिए अनेक तरहों के अभियानो का संचालन किया जाता हैं।
वैसे विश्व में सर्वप्रथम बाल दिवस मनाने की शुरुआत वर्ष1856 में इंग्लैंड के चेल्सी हुयी जोकि (इंग्लैंड में एक समृद्ध क्षेत्र है, जो वेस्टमिंस्टर शहर के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यह टेम्स नदी के उत्तरी तट पर स्थित है।) में हुई थी। वहां एक चर्च में बच्चों के लिए एक खास दिन रखा गया था, जिसे रोज़ डे कहते थे। इस दिन सभी तरह के संभाषण, अनुदेश और कहानियां बच्चों से ही जुडी हुई हुआ करती थीं। इसके बाद से विश्व के अधिकतर देशों ने अपने यहां भी बाल दिवस मानना प्रारम्भ कर दिया।
वर्ष1954 में संयुक्त राष्ट्र ने विश्व के बच्चों के अधिकारों के प्रति लोगों का ध्यान आकृष्ट करने के उद्देश्य से 20 नवम्बर के दिन को बाल दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। भारत के साथ ही विश्व के अधिकतर अन्य देशों ने भी संयुक्त राष्ट्र से सहमति जताते हुए बाल दिवस को 20 नवम्बर के ही दिन मनाने का निर्णय लिया।वर्ष 1954 से लेकर वर्ष1964 तक 20 नवम्बर के ही दिन को हमारे देश में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता रहा लेकिन वर्ष1964 में पं. जवाहरलाल नेहरू के देहांत हो जाने के पश्चात उनके यादगार स्वरूप भारत में भी बाल दिवस मनाया जाने लगा l
- जी के चक्रवर्ती