उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने जताई कड़ी आपत्ति, कहा उत्तराखंड सरकारी प्रवक्ता की तरफ से कुछ समाचार पत्रों में देश के अनेकों राज्यों के साथ उत्तर प्रदेश में भी 20 प्रतिशत बढोतरी का है प्रस्ताव की खबर छपी है, खबर से भ्रम की स्थिति हुई पैदा
लखनऊ, 27 अप्रैल: उत्तराखंड में बिजली दरों में 7 प्रतिशत तक की गई वृद्धि पर उपभोक्ता परिषद ने विरोध जताया है ,परिषद ने कहा इस बढोतरी को टाला जा सकता था इसकी टाइमिंग गलत है।
बता दें कि लोकसभा चुनाव का प्रथम चरण उत्तराखंड में खत्म होने के 7 दिन बाद कल विद्युत नियामक आयोग द्वारा उत्तराखंड राज्य के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में औसत 6.92 लगभग 7 प्रतिशत वृद्धि अलग-अलग श्रेणी वार जारी की गई जो निश्चित ही यह उपभोक्ता विरोधी कार्यवाही को दर्शाता है।
परिषद ने कहा बिजली दरों में बढोतरी की टाइमिंग बिल्कुल गलत है इससे पता चलता है कि उत्तराखंड सरकार वहां के विद्युत उपभोक्ताओं के प्रति ज्यादा से ज्यादा सचेत नहीं है जिसका उपभोक्ता परिषद हर स्तर पर विरोध करता है।
उपभोक्ता परिषद ने जब उत्तराखंड के आंकडे देखा और अध्ययन किया तो उससे यह साफ निकलकर सामने आया कि उत्तराखंड में बिजली दरों में बढोतरी टाली जा सकती थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया परिषद् का कहना है कि आज उत्तराखंड के कुछ समाचार पत्रों में यह खबरें प्रकाशित की गई है कि देश के अनेकों राज्यों में उत्तराखंड से ज्यादा बिजली दर बढोतरी प्रस्तावित है जिसमें उत्तर प्रदेश का नाम लेकर यह खबरें प्रकाशित की गई है की उत्तर प्रदेश में 20 प्रतिशत बिजली दरों में बढोतरी प्रस्तावित है।
हिमाचल में 50 प्रतिशत झारखंड में 44 प्रतिशत असम में 34 प्रतिशत दिल्ली में 30 प्रतिशत जबकि सभी को पता है कि उत्तर प्रदेश में प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33122 करोड सरप्लस निकल रहा है ऐसे में उत्तर प्रदेश में बढोतरी प्रस्तावित होने का सवाल ही नहीं और दूसरा अभी तक उत्तर प्रदेश में बिजली दर का कोई प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग में दाखिल नहीं किया गया है। केवल वार्षिक राज्य आवश्यकता दाखिल है जो अभी स्वीकार भी नहीं की गई है स्वीकार किए जाने के बाद बिजली दरे तय करने की कार्रवाई शुरू होगी।
ऐसे में उत्तराखंड में समाचार पत्रों में सरकारी प्रवक्ता की तरफ से खबरें जो प्रकाशित हुई है उसका क्या आधार है? इस पर उत्तर प्रदेश सरकार को कडा विरोध करना चाहिए और उत्तराखंड सरकार को यह बताना चाहिए कि उत्तर प्रदेश में ऐसा कोई भी प्रस्ताव नहीं है अन्यथा प्रदेश की जनता के मन में यह भरम फैलेगा की गुपचुप कहीं कोई प्रस्ताव तो नहीं ? वैसे ही गंभीर मामले पर उत्तराखंड सरकार बताएं ऐसा सपना उन्हें कहां से आ गया !
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने उत्तराखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग के सचिव से बात की तो उन्होंने कहा उत्तराखंड आयोग के तरफ से कोई ऐसी खबर नहीं दी गई है। वहीं उपभोक्ता परिषद ने सचिव विद्युत नियामक आयोग से उत्तराखंड राज्य के उपभोक्ताओं के बिजली घरों में बढोतरी का अपना विरोध भी दर्ज कराया और कहा उत्तराखंड राज्य के उपभोक्ताओं के हित में इस बढोतरी को डाला जा सकता था।
उपभोक्ता परिषद में एक बार फिर या बात दोहराई कि अगर उत्तर प्रदेश में बिजली कंपनियों को या लगता होगा कि उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य जहां 4 साल से बिजली दरों में कोई भी बढोतरी नहीं हुई तो उन्हें फिर उपभोक्ता परिषद बता देना चाहता है कि अगले 5 वर्षों तक भी बिजली दरों में कोई बढोतरी नहीं हो सकती क्योंकि उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है जहां पर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33122 करोड सर प्लस निकल रहा है ऐसे में देश का कोई भी ऐसा कानून नहीं है जो बिजली दलों में बढोतरी की बात करें जिस राज्य के विद्युत उपभोक्ताओं का सर प्लस निकलता है वहां घटोत्री की बात होती है तो उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य जहां घटोतरी ही होगी।