उपभोक्ताओं पर जीएसटी सहित मीटर की कॉस्ट का नहीं पड़ने पाये कोई भी अतिरिक्त भार प्रदेश का ऊर्जा विभाग केंद्र को भेजे जनहित में प्रस्ताव : उपभोक्ता परिषद
लखनऊ, 20 मार्च 2022: राज्य उपभोक्ता परिषद का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन रेवेम्प योजना के तहत पूरे प्रदेश में सभी घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं के घरों में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने की योजना जिसका टेंडर बिजली कंपनियों द्वारा जारी कर दिया गया है लेकिन एक उसमें सबसे बडा सवाल ये उठता है की उस पर आने वाले खर्च की भरपाई प्रदेश का उपभोक्ता क्यों करेगा ।
केंद्र सरकार की योजना के तहत यदि केंद्र चाहता है कि उपभोक्ताओं के घरों में इस योजना के तहत प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जाए तो उसका खर्च वह स्वयं वहन करे, परिषद ने कहा कि उपभोक्ता परिषद केंद्र सरकार की इस उपभोक्ता विरोधी नीति का घोर निंदा करता है। और केंद्र सरकार से यह मांग करता है कि वह अपनी नीति में बदलाव करें ।
उ0प्र0 राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा रेवमप योजना के तहत जारी स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट में स्पस्ट कर दिया गया है की योजना में प्रीपेड स्मार्ट मीटर की कुल लागत रुपया 6000 आंका गया है जिसमे केंद्र सरकार द्वारा रुपया 900 का वहन करने और रुपया 5100 बिजली कम्पनियो को खर्च करना है और उसका भार उपभोक्ताओ के वार्षिक राजस्वा आवश्यकता एवं बिजली दर में पास आन करने सहित उपभोक्ताओ के परिसर पर लगने वाले प्रीपेड स्मार्ट मीटर की कैपिटल कॉस्ट पर ओपेक्स मॉडल में हर माह रुपया 16 से रुपया 20 की लगने वाली जीएसटी का भार भी उपभोक्ताओ के बिजली दर में डालने यानी बिजली दरों में बड़ा बोझ आने वाले समय में उपभोक्ताओ पर चोर दरवाजे डालने की साजिश है।
परिषद ने कहा कि उपभोक्ता परिषद जनहित में प्रदेश सरकार पावर कार्पोरेशन प्रबंधन से यह मांग करती है कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को सरकार यह प्रस्ताव भेज कर अनुरोध करे की हर माह जो प्रति स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कैपिटल कॉस्ट पर जी0एस0टी वसूल की जाएगी उसे समाप्त किया जाय । और साथ ही उपभोक्ताओ पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने वाले खर्च की भरपाई उपभोक्ताओ से बिजली दर में न हो केंद्र सरकार प्रति स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर होने वाले रुपया 6000 को अनुदान में कन्वर्ट करे जिससे उसका भार प्रदेश के उपभोक्ताओ पर न पड़े ।