हम वास्तविक सुधारों के पक्षधर हैं, लेकिन सुधार का मतलब निजीकरण नहीं
लखनऊ, 7 नवंबर 2025: उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण के निजीकरण को लेकर घमासान तेज हो गया है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आज प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में होने वाली उच्च स्तरीय बैठक पर कड़ा एतराज जताते हुए ‘फ्लॉप निजीकरण मॉडल’ को उद्योगपतियों का ‘लाभकारी जाल’ करार दिया। परिषद का दावा है कि यह मॉडल प्रदेश की जनता को अंधेरे में धकेल देगा, जबकि अमीर कारोबारी मालामाल हो जाएंगे।
परिषद ने चेतावनी दी कि पावर कॉरपोरेशन को निजीकरण की जिद छोड़कर उपभोक्ताओं के हितों पर फोकस करना चाहिए। पिछले एक साल से कॉरपोरेशन इसी मॉडल को थोपने की कोशिश में लगा है, लेकिन उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने इसमें दर्जनों संवैधानिक और तकनीकी खामियां गिनाईं। हैरानी की बात यह कि सात महीने बीत जाने के बाद भी कॉरपोरेशन जवाब नहीं दे पाया है। “यह कोई बच्चों का खेल नहीं है!” परिषद ने तंज कसा।
पीएमओ में शाम 5 बजे की ‘निजीकरण वाली बैठक’
आज दिल्ली में पीएमओ में शाम 5 बजे से बिजली कंपनियों के सुधार और आगामी बैलआउट पैकेज पर अहम बैठक होनी है। मुख्य एजेंडा: निजीकरण। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) का पूरा प्रबंधन, ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव के नेतृत्व में दिल्ली पहुंच चुका है। सूत्रों के मुताबिक, यह दल यूपी में बिजली वितरण के निजीकरण का अपना ‘विवादास्पद मॉडल’ लेकर जा रहा है वही मॉडल जो हाल ही में राज्य के मुख्य सचिव के सामने प्रेजेंट किया गया था।
उपभोक्ता परिषद ने इसे ‘उद्योगपति-केंद्रित स्कीम’ बताया। अगर लागू हुआ तो कारोबारी तो चांदी काटेंगे, लेकिन आम उपभोक्ता को ‘लालटेन’ थमा दी जाएगी। परिषद ने पूछा: क्या पावर कॉरपोरेशन सुधार चाहता है या राज्य की बिजली संपत्ति को सस्ते में बेचना?
अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा : सुधार का मतलब निजीकरण नहीं!
परिषद के अध्यक्ष एवं राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा, “यह साफ नहीं कि पावर कॉरपोरेशन असल सुधार चाहता है या बिजली कंपनियों को उद्योगपतियों को सस्ते दामों पर परोसना। हम वास्तविक सुधारों के पक्षधर हैं, लेकिन सुधार का मतलब निजीकरण नहीं!”
वर्मा ने आगे चुनौती दी:
परिषद खुद एक ‘व्यावहारिक सुधार मॉडल’ देने को तैयार है। इसके लिए कड़े फैसले जरूरी, लेकिन वे तकनीकी डेटा और गहन विश्लेषण पर आधारित होने चाहिए। उनका फॉर्मूला:
- तकनीकी दक्षता बढ़ाओ,
- वितरण हानियां घटाओ,
- जवाबदेही फिक्स करो।
“बिना निजीकरण के भी बिजली क्षेत्र को मुनाफे में लाया जा सकता है!” वर्मा ने जोर दिया। परिषद ने मॉडल को नियामक आयोग में लंबित बताते हुए कॉरपोरेशन से निजीकरण की बात बंद करने की मांग की। क्या पीएमओ बैठक में जनता की आवाज सुनी जाएगी या उद्योगपतियों का दबदबा कायम रहेगा? यह सवाल अब सबके जेहन में है।







