- मामले को ट्रू अप में देखने का फरमान , उपभोक्ता परिषद ने कहा नियम विरुद्ध दिए जा रहे तर्क
- जो कानून उत्तर प्रदेश में लागू है विद्युत नियामक आयोग द्वारा बनाया गया कानून है और उसमें क्वार्टरली उपभोक्ताओं को लाभ मिलना है जब तक भारत सरकार द्वारा बनाया गया कानून विद्युत नियामक आयोग द्वारा अडॉप्ट नहीं कर लिया जाता तब तक उसकी बात करना गलत है: उपभोक्ता परिषद
लखनऊ, 08 दिसम्बर। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन व प्रदेश की बिजली कंपनियों के दबाव में अंतंता विद्युत नियामक आयोग ने बिजली फ्यूल सरचार्ज में कमी के फैसले को टाल दिया है जो अपने आप में रेगुलेटरी फ्रेमवर्क का उल्लंघन है यह उपभोक्ता परिषद का कहना है।
परिषद ने कहा विद्युत नियामक आयोग को रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत विद्युत उपभोक्ताओं को फ्यूल सरचार्ज में राहत देना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया जो अपने आप में गंभीर मामला है विद्युत नियामक आयोग को रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत स्वतंत्र होकर काम करना चाहिए किसी के दबाव में नही ? प्रदेश की बिजली कंपनियों की तरफ से 20 अक्टूबर को विद्युत नियामक आयोग में वर्ष 2023 -24 अप्रैल मई जून 2023 क्वार्टर-1 के लिए फ्यूल सरचार्ज में 35 पैसा प्रति यूनिट के आधार पर कैटिगरी वाइज अलग-अलग श्रेणी के विद्युत उपभोक्ताओं को 18 पैसे से लेकर 69 पैसे प्रति यूनिट तक अगले 3 महीना तक बिजली दरों में कमी को लेकर याचिका दाखिल की थी।
इसकी भनक लगते ही उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक पहुंचकर सदस्य तकनीकी श्री संजय कुमार सिंह से अपना विरोध दर्ज कराया और कहा यह प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के साथ बडा धोखा है इस पर आयोग पुनः करें विचार।
इस सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा विद्युत नियामक आयोग अब 2 महीने बाद यह तर्क दे रहा है कि भारत सरकार द्वारा मंथली बेसिस पर फ्यूल सरचार्ज का रूल बनाया गया है उसके मद्दे नजर अब जो फ्यूल सरचार्ज का मामला बिजली दर के ट्रू -अप के समय देखा जाएगा। उन्होंने कहा कि सबसे बडा सवाल यह है कि यह रूल वर्ष 2022 में बना था और अभी इसके पहले विद्युत नियामक आयेगा ने पावर कारपोरेशन के फ्यूल सरचार्ज के उस आदेश पर जिसमें अगस्त 2023 में 28 पैसे से लेकर रुपया 1.09 पैसा बढोतरी की बात की गई थी उसे पर कार्यवाही का आदेश क्यों निर्गत किया गया था?और कार्यवाही का निर्णय सुना दिया था जिसमें उपभोक्ताओं पर भार पड़ना था उन्होंने कहा कि जब पब्लिक को राहत देने की बात आती है तब नए कानून की बात की जाती है। विद्युत नियामक आयोग को रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में यह जानकारी तो होगी ही की वर्तमान में फ्यूल सरचार्ज का जो कानून उत्तर प्रदेश में लागू है वह विद्युत नियामक आयोग द्वारा बनाया गया। कानून है और उसमें क्वार्टरली उपभोक्ताओं को लाभ मिलना है जब तक भारत सरकार द्वारा बनाया गया कानून विद्युत नियामक आयोग द्वारा अडॉप्ट नहीं कर लिया जाता तब तक उसकी बात करना गलत है और इसी के तहत पावर कारपोरेशन ने क्वार्टरली बेसिस पर ही विद्युत नियामक आयोग में दरों में कमी की याचिका भी दाखिल की थी और सबसे बडा सवाल यह है कि 20 अक्टूबर को पावर कॉरपोरेशन द्वारा फ्यूल सरचार्ज के मद में बिजली में कमी के लिए याचिका दाखिल की गई और जिसकी वसूली 3 महीने में होती है अब जब 3 महीने का समय व्यतीत होने वाला है तब विद्युत नियामक आयोग को याद आया कि भारत सरकार द्वारा मंथली बेसिस पर फ्यूल सरचार्ज का रूल बन गया है।
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