- दलित – शोषित और कमजोरों के शुभचिंतक थे छत्रपति साहू महाराज : अनिल कुमार
- 8 अगस्त को दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार जिला मुख्यालयों पर धरना देगी बहुजन समाज पार्टी
पटना : बहुजन समाज पार्टी के बिहार प्रदेश कार्यालय में आज आरक्षण के जनक छत्रपति शाहूजी महाराज के द्वारा दलित, शोषित वंचित को सर्वप्रथम आरक्षण देने पर “आरक्षण दिवस” समारोह मनाया गया। इस अवसर पर प्रदेश प्रभारी अनिल कुमार, केंद्रीय प्रदेश प्रभारी लाल जी मेधांकर और केंद्रीय प्रदेश प्रभारी सुरेश राव ने छत्रपति शाहूजी महाराज के तैल्यचित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर किया।
मौके पर बसपा के कार्यकर्त्ता एवम पदाधिकारी मौजूद थे। “आरक्षण दिवस” के अवसर पर बहुजन समाज पार्टी यह घोषणा करती है कि आगामी 8 अगस्त को पूरे बिहार के प्रत्येक जिला मुख्यालय पर दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार और सरकार एवम प्रशासन के द्वारा समुचित न्याय नहीं मिलने के विरोध में संवैधानिक रूप से धरना प्रदर्शन देगी।
वहीं, कार्यक्रम को संबोधित करते प्रदेश प्रभारी अनिल कुमार ने कहा कि आज छत्रपति शाहू जी महाराज के द्वारा हम दलित, शोषित, पिछड़े बहुजन समाज के लिए सर्वप्रथम अपने राज्य में आरक्षण देकर समाज में बहुजनो को अगले पायदान पर बैठाने की सोच रखने के लिए आरक्षण दिवस मना रहे हैं। छत्रपति साहू महाराज ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने राजा होते हुए भी दलित और शोषित वर्ग के कष्ट को समझा और सदा उनसे निकटता बनाए रखी। उन्होंने दलित वर्ग के बच्चों को मुफ़्त शिक्षा प्रदान करने की प्रक्रिया शुरू की थी। ग़रीब छात्रों के छात्रावास स्थापित किये और बाहरी छात्रों को शरण प्रदान करने के आदेश दिए।
अनिल कुमार ने कहा कि आज से करीब 120 साल पहले 1902 में उन्होंने अपने राज्य में आरक्षण लागू कर दिया था जो एक क्रांतिकारी कदम था, उन्होंने सरकारी नौकरियों में बहुजनों के लिए 50 प्रतिशत लोगों को आरक्षण देने का फैसला किया था। देश में आरक्षण की यह पहली व्यवस्था थी। तब तक बहुजन समाज के लिए शिक्षा के दरवाजे बंद थे। उन्हें तिरस्कार की जिंदगी जीने के लिए मजबूर किया जाता था। उनका मानना था कि देश की वृद्धि में उन्नति के लिए प्रशासन में हर जाति, धर्म और वर्ग के लोगों की सहभागिता जरूरी है। यह एक ऐसा फैसला था जिसने आगे चलकर आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था करने की राह दिखाई। उन्होंने अपने शासन क्षेत्र में सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी तरह की छुआछूत पर कानूनन रोक लगा दी थी। उस दौर में ज्यादातर लोग गंभीरता से मानते थे कि किसी दलित के छू जाने से उनका धर्म भ्रष्ट हो जायेगा।
उन्होंने आगे कहा कि जिस समाज को आगे बढ़ाने की कोशिश शाहू जी महाराज ने 120 साल पहले आरक्षण देकर की थी और देश की आजादी के बाद बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी ने बहुजन समाज के लिए संवैधानिक अधिकार के तहत आरक्षण की व्यवस्था की और बहुजनो को सामाजिक रूप से बराबरी पर लाने का प्रयास किया गया। लेकिन आज फिर से सामंती और मनुवादी विचारधारा की सरकारे देश के बहुजनो को सैकड़ों साल पुराने धारा में धकलने का प्रयास कर रहे हैं। संविधान में नए नए संशोधन कर आरक्षण को समाप्त करते जा रहे हैं। आखिर क्या चाहते हैं? आज चापाकल से पानी पीने पर हत्या हो जा रही है, समाज में फिर से सामंती मानसिकता अपना पांव पसार रही है। यह समझने की जरूरत है कि आखिर इसके पीछे कारण क्या है और कौन हैं वो लोग जो ऐसी गंदी विचार धारा फैला रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आज सामंतियों द्वारा मुज़फ्फरपुर में शिवनाथ राम जी की पानी पीने से हुई हत्या, दरभंगा में दलित बेटियों के साथ बलात्कार, वैशाली में राकेश पासवान की हत्या, सोनपुर में राजा पटेल की हत्या, मणिपुर की शर्मनाक घटना से यह दिख रहा है कि आज दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों , आदिवासियों समाज पर अत्याचार लगातार बढ़ रहा है। साथियों शाहू जी ने कहा था कि ” दलितों के लिए देश नहीं लड़ेगा, खुद लड़ना होगा “। समय आ गया है कि अब उनकी इस बात को चरितार्थ करना होगा, हमें अपने हक की लड़ाई खुद लड़नी पड़ेगी। इस लड़ाई के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।