संसद का मॉनसून सत्र आमतौर पर विपक्ष की सहभागिता के बगैर ही बीत रहा है। विपक्षी सदस्य मणिपुर पर संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की लगातार मांग कर रहे हैं तो वहीं सत्तारूढ़ भाजपा ने इसे नाक का सवाल बना लिया है और वह इस मांग पर कतई भी राजी नहीं है। विपक्ष भी अपनी मांग से पीछे नहीं हट रहा है।
संसद में ऐसी आपाधापी के बीच सत्र का आखिरी सप्ताह सोमवार से शुरू हो रहा है। इस बीच दो बातें हुई हैं जिन पर खासतौर पर ध्यान दिया जाना चाहिए। पहली बात तो यह कि विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया है जिसके सहारे उसकी रणनीति यह है कि प्रधानमंत्री को अपने बयान के दौरान मणिपुर पर बोलने के लिए मजबूर किया जा सके और सरकार की घेरेबंदी की जा सके।
दूसरी खास बात यह है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मोदी उपनाम मामले पर गुजरात के कोर्ट के निर्णय पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने आपराधिक मानहानि के मामले में संसद की सदस्यता गंवाने वाले कांग्रेस नेता को 133 दिन बाद राहत दे दी है। इससे उनकी संसद की सदस्यता बहाल होने की स्थिति बन गई है। संभावना अब इस बात की है। कि राहुल सोमवार को लोकसभा की कार्यवाही में हिस्सा लें। हालांकि इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने अभी कोई निर्णय नहीं दिया है पर कांग्रेस ने मांग की है कि राहुल की सदस्यता बहाल ही जाय।
राहुल की लोक सभा की सदस्यता बहाल हो या न हो, दोनों ही स्थितियों में कांग्रेस को सरकार को घेरने का भरपूर मौका मिलेगा। इस मामले पर विपक्ष के हौसले भी बुलंद रहेंगे। दूसरी तरफ सरकार भी पूरी तरह से विपक्ष के अधिकांश दलों द्वारा हाल में बनाए गए इंडिया गठबंधन को लेकर हमला करेगी। इस मुद्दे पर सत्तारूढ़ दल के नेता आएदिन बयान भी दे रहे हैं और यही स्थिति संसद में जारी रहने की पूरी संभावना है। लोकसभा चुनाव होने में अब साल भर से कम समय बचा है। ऐसे में दोनों पक्ष अपना-अपना माहौल बनाने के लिए संसद के इस सत्र का इस्तेमाल करने की रणनीति पर काम करेंगे।