Share Facebook Twitter LinkedIn WhatsApp Post Views: 2,821 सूनी धरा सूना गगन कैसे बांटे यह अकेलापन वह निहारे बैठ कर मुंडेर पर दिखता नहीं अपना कोई दूर तक गैरों से उम्मीद भी क्या करे सब हैं अपने में मगन इसको हिस्से में मिला सूनी धरा सूना गगन डॉ दिलीप अग्निहोत्री