हेमंत कुमार/ जी क़े चक्रवर्ती
मरी माता के मंदिरों की तरह मसानी देवी के मंदिर भी नदी के किनारे पर मिलते हैं। मसानी देवी के मंदिर कलकत्ता, कानपुर, मथुरा और लखनऊ में है। मसानी देवी का संबंध श्मशान घाट से है। श्मशान को ही देशी भाषा में ‘मसान’ कहते हैं। भगवान शिव के निवास स्थान में कैलाश पर्वत, काशी-बनारस आदी के साथ श्मशान घाट का भी नाम आता है। जहां भूतभवन भगवान शिव वैराग्य भाव से समाधि लगाते हैं। माता पार्वती उनके साथ मसानी देवी के रूप में वहां भगवान शिव के साथ विराजमान रहती हैं। लखनऊ के सहादतगंज मोहल्ले में माता मसानी देवी का एक प्राचीन मंदिर है।
इस मंदिर के कारण लोगों का विश्वास है कि कभी गोमती नदी इस मंदिर के पास से होकर बहती होगी और यहां कभी श्मशान घाट रहा होगा। यहां माता के प्रसाद में फूल के साथ कौड़िया भी चढ़ाई जाती हैं जो इस मान्यता को बल प्रदान करती है। मुस्लिम आक्रमण के समय लोग विध्वंश के भय से माता की मूर्ति को कुएं में डाल कर भाग गए थे जिसको लोगों ने बाद में निकाला और लोगों की सहयोग से मंशादीन माली ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। इस मंदिर का निर्माण सन 1883 ई0 में किया गया किन्तु मसानी माता की प्रतिमा शंगुकालींन है। मंदिर का प्रवेश द्वार भी पीतल का है। जिसके ऊपर गणेश और लक्ष्मी के सुंदर चित्र उकेरे गये हैं। द्वार के एक ओर मगर पर सवार गंगा जी बनी है तो दूसरी ओर अवध का शाही मोनोग्राम बना हुआ है।
धर्मग्रह का द्वार भी पीतल का है। जिसमें सूर्य भगवान और गणेश जी बन हुयेे हैं। मसानी देवी के वाहन पंख वाले शेर की मूर्ति भी बनी है जो शक्ति और तीव्र गति का प्रतीक है। मंदिर के आंगन में भी एक खड़े शेर की मूर्ति है। मसानी देवी की पूजा पूजा का दिन बुधवार है। यहां देवी की मंदिर में लोग मनोकामना की पूर्ति के लिए चौकी भरते हैं। इसके लिए सात बुधवार को मंदिर जा कर उसकी चौखट पर फूल, पान, लौंग, बतासा और कौड़ी को चावल के साथ सजाते हैं और गीत गाते हैं :-