डॉ दिलीप अग्निहोत्री
आजादी के अमृत महोत्सव की कल्पना प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने की थी. अंतर्गत
स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरणादायक प्रसंगों पर कार्यक्रमों के आयोजन की रूपरेखा बनाई गई थी .लेकिन इस अभियान को निर्धारित कार्यक्रमों से बहुत अधिक सफ़लता मिली .इसका दायरा बहुत व्यापक हो गया .इसके माध्यम से आजादी के उपेक्षित प्रसंग भी सामने आने लगे .
बात यहीं तक सीमित नहीं रहीं .इसमें अर्थिक सामाजिक संवैधानिक कृषि आदि अनेक विषय जुड़ते गए . कुल मिला कर य़ह भारत को समग्र रूप से मजबूत बनाने का अभियान बन गया.अमृत महोत्सव में ही उत्तर प्रदेश का तीसरी ग्राउण्ड ब्रेकिंग सेरेमनी हुई. मेरा गांव मेरी धरोहर कार्यक्रम में राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री एक साथ सहभागी हुए .अमृत महोत्सव पर ही उत्तर प्रदेश विधान मण्डल का विशेष अधिवेशन आयोजित किया गया .जिसको राष्ट्रपति ने संबोधित किया.
राष्ट्रपति ने कहा कि खाद्यान्न उत्पादन में उत्तर प्रदेश का भारत में पहला स्थान है। इसी प्रकार आम, आलू, गन्ना व दूध के उत्पादन में भी उत्तर प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। हाल के वर्षों में राज्य में सड़कों के निर्माण में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। रेल तथा एयर कनेक्टिविटी में उल्लेखनीय सुधार हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश के प्रतिभाशाली युवा अन्य राज्यों में तथा विदेशों में आर्थिक प्रगति के प्रतिमान स्थापित कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजनैतिक व प्रशासनिक स्थिरता की संस्कृति का निर्माण करते हुए यह विश्वास जगाया है कि निकट भविष्य में ही उत्तर प्रदेश द्वारा आर्थिक प्रगति के नए कीर्तिमान स्थापित किए जाएंगे। पर्यटन, फूड प्रोसेसिंग, इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी तथा अर्बन डेवलपमेंट की अपार सम्भावनाएं उत्तर प्रदेश में उपलब्ध हैं। डॉ बाबा साहब आंबेडकर कहा करते थे कि भारतीय लोकतंत्र के बीज हमें पश्चिम के देशों से नहीं मिले है .भारत में इसका अस्तित्व बहुत पहले से रहा है . उत्तर प्रदेश शीघ्र ही हर तरह से ‘उत्तम प्रदेश’ बनेगा। जब देश का सबसे बड़ा राज्य प्रगति के उत्तम मानकों को हासिल करेगा तो स्वतः ही पूरे देश के विकास को संबल प्राप्त होगा।
आनंदीबेन पटेल ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव देश के स्वावलम्बन का प्रतीक है। भारत की विकास यात्रा के अवलोकन का अवसर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण के प्रति समर्पित 8 वर्ष पूर्ण हो गए हैं। इस दौरान देशवासियों के आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी हुई है। प्रत्येक क्षेत्र में बुनियादी सुविधाएं बढ़ी हैं। जरूरतमन्दों तक बिना भेदभाव विकास और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचा है। भारत को नई वैश्विक प्रतिष्ठा भी प्राप्त हुई है। स्वाधीन भारत के इतिहास यह कार्यकाल बेमिसाल साबित हुआ 05 जनवरी, 1887 को विधान परिषद का गठन किया गया था। उस समय उत्तर प्रदेश को उत्तर पश्चिम प्रान्त एवं अवध प्रान्त के नाम से जाना जाता था।
स्थापना के समय विधान परिषद का कोई निश्चित स्थान नहीं था। परिषद की प्रथम बैठक प्रयागराज में, एक बैठक बरेली में और एक बैठक मालवीय सभागार तत्कालीन बैनेट हॉल लखनऊ विश्वविद्यालय में हुई। विधान परिषद की बैठकें प्रयागराज या लखनऊ के राजभवन में होती रहीं। कालान्तर में लखनऊ में परिषद भवन निर्मित किया गया। यह भवन अब हमारा विधान भवन कहलाता है। वर्ष 1928 में यह भवन विधान परिषद का स्थायी स्थान बन गया।
गवर्नमेन्ट ऑफ इण्डिया एक्ट-1935 के अनुसार विधान मण्डल द्वि सदनीय हो गया। तब विधान परिषद का मण्डप विधान सभा को दे दिया गया। वर्ष 1937 में अपने गठन के पश्चात विधान परिषद की प्रथम बैठक तत्कालीन परिषद भवन के एक समिति कक्ष में हुई।
तत्समय ही विधान परिषद के लिए एक अलग मण्डप का निर्माण प्रारम्भ कर दिया गया था, जो वर्ष 1937 में तैयार हो गया। महात्मा गाँधी की 150वीं जयन्ती के अवसर पर आहूत विशेष सत्र में पहली बार सतत् विकास के लक्ष्यों पर लगातार दिन-रात 36 घण्टे की चर्चा की गई। संविधान दिवस 26 नवम्बर, 2019 को संविधान को अंगीकार किये जाने की 70वीं वर्षगांठ पर विधान मण्डल के विशेष सत्र में भी सार्थक चर्चा हुई थी।