लखनऊ, 21 दिसम्बर: बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा आज विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया । “विशेष व्याख्यान” के मुख्य वक्ता सियोल नेशनल विश्वविद्यालय, दक्षिण कोरिया के जोली राकेश ने परास्नातक के उपरांत विदेश से शोध कैसे करें तथा वित्तीय सहायता कैसे प्राप्त करें विषय पर व्याख्यान दिया ।
उन्होंने छात्र-छात्रों को अवगत कराया कि वर्तमान समय मे भारत के साथ साथ विदेशों में भी इतिहास व पुरातत्व विषय मे शोध के नए आयाम स्थापित हुए हैं तथा विश्व के कई विश्वविद्यालयों में पुरातत्त्व में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से शोध कार्य हो रहे हैं जैसे- आर्कियोबोटोनि, आर्कियोजयोलॉय, पुरातत्व में रिमोट सेंसिंग की उपादेयता तथा पेट्रोलॉजी आदि । जिसमें शोधार्थी भाग ले कर अच्छे शोध कार्य कर सकता है तथा अच्छी वित्तीय सहायता भी प्राप्त कर सकते हैं। विश्व के अनेक विश्वविद्यालय जैसे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, हावर्ड विश्वविद्यालय, सियोल नेशनल विश्वविद्यालय आदि में विश्वस्तरीय शोध हो रहे हैं जंहा वित्तीय सहायता भी प्राप्त होती है छात्र व छात्रायें शोध हेतु इन विश्वविद्यालयों में अनुमोदन कर सकते हैं।
उन्होंने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के जरिए विभिन्न वित्तिय सहायता प्रदान करने वाली संस्थाओं के नाम भी प्रस्तुत किया जैसे फुलब्राइट तथ कमन्वेल्थ आदि। जोली राकेश भी वित्तीय सहायता प्राप्त कर सियोल नेशनल विश्वविद्यालय से वरिष्ठ प्रोफेसर के निर्देशन में अपना शोध कार्य कर रहे हैं।कार्यक्रम की अध्यक्षता विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वी एम रवि कुमार ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ प्रोफेसर एस विक्टर बाबू द्वारा किया गया। इस व्याख्यान में प्रोफ़ेसर सूरादारापुरी, डॉ आनंद सिंह, डॉ सिद्धार्थ शंकर राय, डॉ सुदर्शन चक्रधारी, डॉ रेणु पांडेय तथा काफी संख्या में शोधार्थी एवं छात्र छात्राएं उपस्थित रहे.।