युक्रेन और रूस के मध्य एक माह से भी अधिक समय से लगातार चल रहे युद्ध से केवल यही दोनों देश प्रभावित नही हुये हैं बल्कि दुनिया के अनेको देश इस युद्ध से प्रभावित हुये हैं। एक बात इसमे और है कि इन दोनों देशों के बीच युद्ध के कारण से विश्व के अनेक देशों के मध्य उनके आपसी सम्बन्धों में अनेको तरह के परिवर्तन भी हुये हैं।
यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया के तीन देश रूस, चीन और भारत के मध्य परस्पर दूरियां कम होने से यह देश आपस मे पहले से और नजदीक आ गये है। जिससे इन तीनो देशों की तिकड़ी यदि एक साथ अपना संगठन बना लेते हैं तो निश्चित तौर पर अमेरिका के ऊपर भारी पड़ते देख अब अमेरिका के ऊपर भारत से दोस्ती मजबूत करने के लिए दबाव बन गया है। इसलिये अमेरिका सहित दुनिया के अनेको देश यूक्रेन मामले मे भारत को अपने पक्ष में लाने की कोशिशों के प्रयास में दुनिया के कई प्रतिनिधियों के दिल्ली आने का तांता लग गया है इस परिपेक्ष में विश्व व्यवस्था में बहुत बड़ा बदलाव होने जा रहा है और जिसमे भारत की एक अहम भूमिका रहने वाली है। इसी कारण जहां कई पश्चिमी देश यूक्रेन मामले में भारत को अपने पक्ष में लाने की कोशिशों में लगे हुये हैं।
आज विश्व मे भारत के एक उभरती हुई शक्ति के रूप में दुनिया के सामने आने से उसके सहयोग-संपर्क के बिना दुनिया को बहुत चीजों पर निर्णय लेना कठिन हो जायेगा। यह बात न केवल एक उल्लेखनीय है, बल्कि यह भारत की बढ़ती महत्ता का परिचायक भी है। बीते दस दिनों में शायद ही कोई दिन ऐसा गुजरा होगा जब यहां कोई विदेशी राजनयिक भारत न आया हो। जिसमे जापान के प्रधानमंत्री से लेकर आस्ट्रेलिया, ग्रीस, ओमान, ब्रिटेन, चीन, मेक्सिको जैसे देशो के विदेश मंत्रीयों एवं जर्मनी, यूरोपीय संघ के विशेष प्रतिनिधियों के अलावा अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार तक इसमे शामिल हैं।
भारत एक उभरती हुई शक्ति होने से यूक्रेन संकट के मामले में भारत की मध्यस्तता की अपेक्षा रखने वाले दुनिया के देशों इच्छा व्यक्त करने से जहां आज से पहले की अपेक्षा भारत की महत्ता और भी अधिक बढ़ जाती है जिसके मद्देनजर चार देशों की सदस्यता वाले क्वाड के शासनाध्यक्षों के मध्य संवाद भी स्थापित हो चुके हैं। शायद आज से पहले ऐसे किसी समय को याद करना बहुत मुश्किल होगा कि जब भारत विश्व के देशों के केंद्र में आया हो। शायद आज भारत की यह स्थिति इसीलिए बनी है, क्योंकि आज दुनिया का प्रत्येक देश यह समझ रहा है कि भारत बहुत तेजी से उभरती हुई एक ऐसी शक्ति है कि जिसको नजरअंदाज कर विश्व की महत्वपूर्ण विषयों मे निर्णय लेना असंभव है। भारत की इस अंतरराष्ट्रीय महत्ता के पीछे भारतीय प्रधानमंत्री की वह कूटनीतिक सक्रियता ही कहलायेगी जो उन्होंने बीते सात-आठ वर्षों के दौरान दिखाई है।
यूक्रेन युद्ध मामले में भारत को दुनिया के कई प्रमुख देश अपने पाले में लाने की कोशिश करते दिख रहे हैं जिससे सहज ही यह समझा जा सकता है कि भारत केंद्रित अंतराष्ट्रीय कूटनीतिक सक्रियता का एक बड़ा कारण यूक्रेन संकट है। इस संकट का समाधान चाहे जिस रूप में हो, यह तो तय है कि आगामी आने वाले दिनों में विश्व व्यवस्था में बहुत बड़ा बदलाव होने जा रहा है और इसमें भारत की एक बहुत बड़ी भूमिका रहने वाली है। इसी कारण जहां कई पश्चिमी देश यूक्रेन मामले में भारत को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं कुछ नई दिल्ली से यह जानने की आस लगाए हैं कि रूस पर लगाए जा प्रतिबंधों के असर का सामना कैसे और किस प्रकार से किया जाय?
- जी के चक्रवर्ती