भारतीय उत्सव मात्र आस्था तक सीमित नहीं होते। इसमें सामाजिक व स्थानीय अर्थव्यवस्था का विचार भी समाहित रहता है। पर्व समाज को जोड़ते है। सद्भाव व सहयोग की भावना को समृद्ध करते है। किसी न किसी रूप में समाज के सभी लोग इसमें सहभागी होते है। स्थानीय उत्पाद को प्रोत्साहन मिलता है। जब लोग दीपक प्रज्वलित करते है, उनको बनाने वालों के घरों में भी उजाला होता है। एक जिला एक उत्पाद व हुनर हाट की योजनाएं उत्सवों पर विशेष रूप में फलीभूत होती है। कुछ दिन पहले मथुरा वृंदावन में गोवर्धन पूजा की उमंग थी। यह भी प्रकृति संरक्षण का पर्व है।
छठ पूजा के अवसर पर मथुरा में ब्रजरज और हुनर हाट का शुभारंभ हुआ। यह सब भावना विचार विरासत,आस्था आदि के धरातल पर पल्लवित होते है। ब्रज तीर्थ विकास परिषद का गठन उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार ने किया था। इसके माध्यम से पर्यटन तीर्थाटन विकास के कार्य किये जा रहे है। पहले वैष्णव कुम्भ का सफल आयोजन किया गया था। इस बार इस ब्रजरज उत्सव को भी उसी उत्साह के अनुरूप आयोजित किया जा रहा है।
ब्रज तीर्थ विकास परिषद का गठन यहां के पौराणिक स्वरूप को पुनर्जीवित करने के लिए किया गया है। विभिन्न माध्यमों से ब्रज का नाम देश व विदेश में प्रसिद्ध करने का प्रयास किया गया है। राज्य सरकार ने वृन्दावन, बरसाना, नंदगांव,गोवर्धन, राधा कुण्ड, गोकुल और बलदेव को तीर्थ स्थल घोषित किया है। यह सभी पवित्र तीर्थ स्थल विकास की एक नयी प्रक्रिया से जुड़ रहे हैं। ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने यहां पर साढ़े चार करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं को धरातल पर उतारने का कार्य किया है। इस क्षेत्र की पुरातन काया को बनाए रखते हुए इसे नये कलेवर के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।
गोवर्धन वृन्दावन परिक्रमा मार्ग,पौराणिक कुण्डों का जीर्णोद्धार व सौन्दर्यीकरण किया गया है। ब्रजरज उत्सव का शुभारंभ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। उन्होंने कहा कि ब्रज क्षेत्र का हजारों वर्षों से एक लिखित इतिहास है। पूरी दुनिया के पास इतना प्राचीन इतिहास नहीं है। यहां की गाथाओं, कलाओं,संगीत कण कण में,रज रज में रचा बसा है।
ब्रज रजोत्सव आत्मनिर्भर भारत अभियान के अनुरूप है। हुनर हाट में आए सभी कारीगर आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने वाले हस्तशिल्पी हैं। अनेक प्रकार के उत्पाद प्रदर्शित हैं। हस्तशिल्प के मामले में उत्तर प्रदेश काफी समृद्ध है। श्री कृष्ण के समय में यहां की धरोहर से प्रेरणा लेने वाले हस्तशिल्पी और कारीगर आज भी है।
- डॉ दिलीप अग्निहोत्री