लखनऊ, 3 अप्रैल 2022: वाल्मीकि रंगशाला, संगीत नाटक अकादमी लखनऊ में, सफ़र फाउंडेशन द्वारा आयोजित 2 दिवसीय नाट्य समारोह के अंतर्गत संस्था “विजय बेला एक कदम खुशियों की ओर” की नाट्य प्रस्तुति “मरने के शॉर्टकट” का मंचन किया गया। नाटक का लेखन डॉ कुमार संजय एवं निर्देशन चंद्रभाष सिंह का था । नाटक के माध्यम से कलाकारों ने दिखाया कि, क्या मुसीबतों से छुटकारा पाने का सबसे आसान तरीका आत्महत्या है? पर क्या आत्महत्या करने से सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं, नहीं आत्महत्या कोई समाधान नहीं बल्कि मानव जीवन की सबसे बड़ी भूल होती है जिसे फिर मनुष्य चाहकर भी कभी नहीं सुधार सकता।
नाटक अलग-अलग तरीकों से आत्महत्या करने वाले व्यक्तियों के दर्द को बयां करता है। यह सच है कि कोई खुशी खुशी आत्महत्या नहीं करता परंतु परेशानियों से छुटकारा पाने का आखिरी रास्ता भी आत्महत्या नहीं।
नाटक के सभी पात्र भूत के रूप में थे जोकि आत्महत्या कर के ही भूत योनि में प्रवेश किए हैं और सभी मिलकर आत्महत्या के शॉर्टकट यानी जो इंस्टेंट हो पेनलेस हो और गारंटेड हो दर्शकों को बताने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन करते है , जिसमे सभी भूत अपने अपने अनुभव बताते है कि उन्होंने किन परिस्थितियों में किस तरह से आत्महत्या की, और पश्चाताप भी करते है । “अब तो घबरा के कहते हैं कि मर जाएंगे, मर कर भी चैन न पाया तो किधर जाएंगे?, हमारे चारों ओर भूत ही भूत है सैकड़ों हजारों की संख्या में लेकिन सभी के चेहरों पर एक मायूसी है, एक पश्चाताप है, और फिर से जिंदगी जीने की आकांक्षा है । जिंदगी से हार कर इन्होंने आत्महत्या तो कर ली लेकिन क्या वे इस जिंदगी से खुश हैं”। नाटक को देखकर दर्शक सोचने पर मजबूर हो जाते है कि क्या ये वाकई सही रास्ता है?
सारे भूत जिंदगी जीने की नई राह को ढूंढ रहे हैं, पर क्या यह संभव है ? नहीं …इसलिए वह आम लोगों को यह बताना चाहते हैं जिंदगी को बेहतर तरीके से कैसे जी सकते हैं । नाटक में निर्देशक ने मुखसज्जा, प्रकाश और पार्श्वसंगीत का बेहतरीन प्रयोग कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। नाटक में चन्द्रभाष सिंह, जुही कुमारी, अनमोल घुलियानी, अतुल द्विवेदी,ओमकार पुष्कर, सुंदरम मिश्रा, सुहैल शेख़, विपिन, कोमल, अंकित एवं सचिन ने अपने अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।