लखनऊ, 19 अक्टूबर 2021: यूपी सरकार से कर्मचारी व शिक्षक इस कदर नाराज हैं कि उन्होंने उत्तर प्रदेश को संवेदनशून्य कह दिया। उन्होंने कहा कि सरकार कर्मचारियों व शिक्षकों की मांगों पर ज़रा भी गौर नहीं कर रही है। अध्यक्ष डॉ दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में प्रदेश के कर्मचारियों, शिक्षकों के हितों पर कुठाराघात किया गया है, उन्होंने कहा कि तमाम आंदोलनों के बाद भी सरकार कर्मचारी व शिक्षकों की समस्याओं के निराकरण के प्रति संवेदनशून्य बनी हुई है सरकार ने कर्मचारियों, शिक्षकों के हित में कोई भी कार्य नहीं किया है बल्कि कर्मचारियों व शिक्षक जो वेतन भत्ते प्राप्त कर रहे थे वह भी छीन लिए गए हैं। इस बात की जानकारी आज एक प्रेस रिलीज़ के माध्यम से दी गयी।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के शिक्षकों, कर्मचारियों, शिक्षामित्रों, अनुदेशकों, विशेष शिक्षकों, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय के शिक्षकों, आंगनवाड़ी कार्यकत्री/ सहायिका, रसोइयों एवं सेवानिवृत्त शिक्षकों की मांगों के निराकरण हेतु प्रदेश के 100 से अधिक संगठनों द्वारा मिलकर बनाए गए संगठन “कर्मचारी शिक्षक अधिकारी एवं पेंशनर्स अधिकार मंच उत्तर प्रदेश” के अध्यक्ष डॉ दिनेश चंद्र शर्मा ने लखनऊ मंडल के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर आगामी आंदोलन की आज समीक्षा की।
संगठन अध्यक्ष डॉ दिनेश चंद्र शर्मा ने बैठक में कहा कि सरकार ने कर्मचारियों, शिक्षकों के हित में कोई भी कार्य नहीं किया है बल्कि कर्मचारियों व शिक्षक जो वेतन भत्ते प्राप्त कर रहे थे वह भी छीन लिए गए हैं। उन्होंने अपनी विभिन्न मांगों में पहली मांग को दोहराते हुए कहा कि वर्तमान मुख्यमंत्री जी ने सांसद रहते हुए पुरानी पेंशन बहाली हेतु तत्कालीन प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर पुरानी पेंशन बहाली का समर्थन किया था। आज जब योगी आदित्यनाथ जी मुख्यमंत्री हैं तो वह अपनी पुरानी पेंशन बहाली के वादे को भूल गए हैं। प्रदेश में 1 दिन शपथ लेकर काम करने वाला विधायक एवं सांसद पेंशन पाने का हकदार हो जाता है, परंतु 60 या 62 वर्ष की आयु तक काम करने वाले कर्मचारी/शिक्षक के बुढ़ापे का सहारा पुरानी पेंशन छीन ली गई है। जिसकी बहाली के प्रति सरकार संवेदनशून्य बनी हुई है।
- प्रदेश के कर्मचारियों, शिक्षकों के 18 महीने के महंगाई भत्ते का लगभग 10 हजार करोड़ का भुगतान सरकार द्वारा रोका गया है।
- प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषदीय विद्यालयों में 1.25 लाख प्रधानाध्यापकों के पद समाप्त कर दिए गए हैं । कारण वर्तमान सरकार के कार्यकाल में एक भी शिक्षकों को पदोन्नति नहीं मिली है संसाधनों के बिना शिक्षा का अधिकार अधिनियम के विपरीत शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य करने हेतु मजबूर किया जा रहा है।
- प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षामित्रों की सेवा सुरक्षा की गारंटी वर्ष 2017 में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने स्वयं ली थी लेकिन आज प्रदेश में 40 हजार वेतन पाने वाला शिक्षामित्र 10 हजार पर लाकर खड़ा कर दिया गया है।
- प्रदेश के कर्मचारियों के एक दर्जन भत्ते समाप्त कर दिए गए हैं।
- प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों के अनुदेशकों को 17 हजार का मानदेय मिलना चाहिए जो आज 7 हजार दिया जा रहा है।
- कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय के 2 हजार से अधिक शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया गया है।
- प्रदेश के वित्तविहीन विद्यालयों के शिक्षकों का मानदेय छीन लिया गया है।
- आंगनवाड़ी कार्यकत्री, सहायिका एवं परिषदीय विद्यालय में कार्यरत रसोइयों को न्यूनतम मजदूरी के बराबर भी वेतन नहीं दिया जा रहा है।
डॉ दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि प्रदेश का कर्मचारी, शिक्षक एकजुट हो चुका है एवं आगामी 28 अक्टूबर 2021 को सभी जनपद मुख्यालय पर धरना देगा। तथा 30 नवंबर 2021 को लखनऊ में महारैली होगी। सरकार को कर्मचारियों और शिक्षकों की समस्याओं का निराकरण करना होगा।
इस मौके पर बैठक में संजय सिंह महामंत्री उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ, शिव शंकर पांडे कोषाध्यक्ष, सुधांशु मोहन सिंह, बृजेश पांडे, संजीव त्रिपाठी, रवीन्द्र दीक्षित, वीरेंद्र यादव, मुकेश द्विवेदी, गजेंद्र वर्मा, अक्षत पांडे, विनोद अवस्थी आदि ने भाग लिया।