नई दिल्ली । महामारी कोरोना का घातक वायरस संक्रमण ठीक होने के दो साल बाद भी संक्रमितों को प्रभावित कर रहा है। जानकारी के मुताबिक कोरोना से ठीक होने के दो साल बाद भी ज्यादातर लोग ऐसे हैं जिनमें कम से कम एक लक्षण अभी भी मौजूद हैं। ये बात साइंस जर्नल लैंसेट की एक स्टडी में सामने आई है। लैंसेट की स्टडी में दावा किया गया है कि कोरोना से ठीक होने के दो साल बाद भी 50 फीसदी लोग ऐसे हैं, जिनमें कम से कम एक लक्षण आज भी मौजूद हैं।
एक अध्ययन में कहा है कि कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद भी एक बड़ी आबादी में कई ऑर्गन और सिस्टम पर लंबे समय तक असर बना रहा। इस स्टडी में कहा गया है कि कोरोना से ठीक हुए लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार देखा गया है, ज्यादातर लोग दो साल में अपने काम पर लौट आए हैं, लेकिन लक्षणों का असर अब भी बना हुआ है। स्टडी बताती है कि लॉन्ग कोविड के असर और प्रभाव के बारे में जानकारी जुटाने की तुरंत जरूरत है, ताकि लॉन्ग कोविड के खतरे को कम किया जा सके। स्टडी में ये भी कहा गया है कि ठीक हुए मरीजों की लंबे समय तक निगरानी जरूरी है, ताकि पता चल सके कि मरीज पूरी तरह से कब तक ठीक होंगे।
स्टडी में क्या आया सामने?
यह स्टडी वुहान के जिन यान-तान अस्पताल से कोरोना से ठीक होकर लौटे 2,469 मरीजों पर की। यह मरीज 7 जनवरी से 29 मई 2020 तक ठीक होकर लौटे थे। इन मरीजों में से 1,192 मरीज ऐसे थे जो 2 साल बाद तक डॉक्टरों के पास अपनी शिकायत लेकर आते रहे। अध्ययन में सामने आया कि 777 मरीज ऐसे थे, जिनमें 6 महीने बाद भी कोरोना का कम से कम एक लक्षण मौजूद था। वहीं, 650 मरीज ऐसे थे, जिनमें दो साल बाद भी कोरोना का एक लक्षण मौजूद रहा।
अध्ययन के मुताबिक, मरीजों में थकान और मांसपेशियों में कमजोरी की शिकायत सबसे आम थी। इसके अलावा करीब 250 मरीज ऐसे थे जिनमें 6 महीने बाद भी एंग्जायटी और डिप्रेशन के लक्षण थी। हालांकि, 2 साल बाद ऐसे मरीजों की संख्या कम होकर 143 हो गई। स्टडी में सामने आया है कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी मरीजों में दर्द और बेचैनी की शिकायत देखी गई। इसके अलावा एंग्जायटी और डिप्रेशन की शिकायत भी रही।
स्टडी में कहा है कि शुरुआती बीमारी की गंभीरता का फर्क पड़े बिना, कोरोना से ठीक हुए मरीजों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार देखा गया है। अधिकांश लोग दो साल अपने मूल काम में वापस लौट आए हैं। हालांकि, आम लोगों की तुलना में कोरोना से ठीक हुए मरीजों का हेल्थ स्टेटस काफी कम रहा।