जी के चक्रवर्ती
वैसे तो ठंड का मौसम हमारे स्वास्थ्य से लेकर खाने पीने के बहुत सारी समस्याओं का इलाज स्वयं करता है लेकिन इन खूबियों के साथ-साथ बहुत सारी समस्याएं समाज के उन गरीब, निस्सहाय लोगों के लिए कष्ट कारक विशेष कर ऐसे लोग जिनके पास ओढ़ने बिछाने के लिये गर्म कपड़े और कंबल, रजाई जैसे अति आवश्यक चीजे उपलब्ध नहीं होते हैं।
इस समय ठंड का मौसम चल रहा है तो ऐसे में देश के सभी राज्यों में ठंड पड़ना स्वाभाविक सी बात है, लेकिन पिछले 7-8 दिनों से पूरे देश के साथ ही साथ लखनऊ में सर्दी का बुरा आलम है। लखनऊ में तापमान चार डिग्री से 1.2 डिग्री सेल्सियस के बीच ऊपर नीचे होता रहा है लखनऊ में पहाड़ों से चलने वाली तेज बर्फीली हवाओं से रविवार और सोमवार के दिन लोग ठिठुरते लोग अपने-अपने घरों में दुबकने को मजबूर हुए। हालांकि, दोपहर के वक्त थोड़ी देर के लिये ही सही अलसायी सूरज ने बादल कोहरे के बीच झांकती नजर आई, लेकिन जब तक लोग उसकी तपिश को महसूस कर पाते उससे पहले सर्द हवाओं ने एक बार फिर से लोगों को घरों में कैद होने को मजबूर कर दिया।
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, अगले तीन चार दिनों तक 14 जनवरी तक ऐसे ही हालात बने रहने के आसार हैं। इस बार ठंडक पिछले वर्ष के ठंडक से अधिक है।
वैसे सर्दियों में हम सभी को ठंड लगती है। फिर वो चाहे पुरुष, महिलायें, बच्चे, बूढ़े ही क्यों ना हो सभी ठंड से कांपते नजर आ रहे हैं। लेकिन सामान्य तौर पर ऐसा प्रतीत होता है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ठंड कुछ ज्यादा ही लगती है। इसके पीछे मेटाबॉलिज्म एक बड़ा कारण है।
वहीं हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि महिलाओं का मेटाबॉलिक रेट पुरुषों के मुकाबले कम होता है। मेटाबॉलिज्म का कार्य इंसानी शरीर में ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने का होता है। हम इंसानों के शरीर में जब ऊर्जा का स्तर अच्छा होता है तो ऐसे में हमे अधिक ठंडक नहीं लगती है। यह मेटाबॉलिक रेट पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में कम पाया जाता है, इसलिए पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को अधिक ठंडक लगती है।
महिलाओं को ठंड लगने का एक और कारण यह है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं की मांसपेशियां कम होती हैं। यदि इन पेशियों की संख्या अधिक होती है तो अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है। चूंकि महिलाओं की मांसपेशियां कम होती हैं, इसलिए उनका शरीर कम उष्मा पैदा करती है। महिलाओं के शरीर में पुरुषों के मुकाबले चर्बी भी कम होती है, जिसके कारण महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा अधिक ठंड लगती है।
भारत के कुछ हिस्सों जैसे हिमाचल क्षेत्रों में अत्याधिक ठंड पड़ना स्वाभाविक है वहां इस मौसम में लगातार भीषण बर्फ बारी होने से यहां का तापमान माइनस में अर्थात 0 डिग्री से भी नीचे पहुंच जाता है लेकिन इस वर्ष यहां प्रतिवर्ष की तरह बर्फ बारी देखने पहुंचने वाले सैलानियों के हाथ निराशा ही लगी क्यूंकि प्रतिवर्ष की तरह 25 दिसम्बर से 1 जनवरी को होने वाली बर्फ बारी इस बार नहीं हुई थी। हमारे यहां के मौसमों में आये बदलावों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले वर्ष यानिकी 2022 में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 के पहले 11 महीनों में इस वर्ष सामान्य से 0.92 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म रहा है। यदि डाटाओं की बात करें तो यह नवंबर तक की अवधि के लिए वर्ष 1880 के बाद से 2022 को पांचवां सबसे गर्म वर्ष रहा है, लेकिन पिछले वर्ष की तुलना मे इस वर्ष 2023 में कुछ अत्याधिक ठंड का अनुभव किया जा रहा है।
जब हम राजधानी दिल्ली की बात करते हैं तो इन दिनों ठंड का सितम झेल रही है। नए साल का आगाज हो चुका है लेकिन ठंड अभी पीछा नहीं छोड़ने वाली है। बल्कि मौसम विभाग ने एक बार फिर दिल्ली से लेकर देश के अनेक राज्यों में शीतलहर का अनुमान व्यक्त किया है।