चौंकाने वाले हैं नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) के आंकड़ें
नई दिल्ली, 23 फरवरी: पिछले करीब एक दशक में देश के परिवारों का हर महीने का खर्च देगुना से भी अधिक बढ़ गया है। और लोग बोल रहे हैं मंहगाई कम हुई है ! इस दौरान परिवार के हर शख्स के घरेलू खर्च में भी बड़ा इजाफा दिखा है। यह जानकारी नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) की स्टडी से मिली है जिसने अगस्त 2022 से जुलाई 2023 तक देशभर में घरेलू खर्च को लेकर सर्वे
किया था।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एनएसएसओ ने अपने सर्वे में पाया कि 2022-23 में ग्रामीण इलाकों में रहने वाले परिवारों का हर महीने का औसतन खर्च 3,773 रुपये पर पहुंच गया है, जो 2011-12 में 1,430 रुपये था। वहीं, शहरी परिवारों की बात करें, तो उनका खर्च इस दौरान 2,630 रुपये से बढ़कर 6,459 रुपये हो गया। एनएसएसओ के सर्वे के अनुसार मंथली पर कैपिटा कंज्यूमर एक्सपेंडीचर (एमपीसीई) शहरी क्षेत्रों में 2011-12 में 2,630 रुपये से बढ़कर 3,510 रुपये हो गया। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में यह 1,430 रुपये से बढ़कर 2,008 रुपये हो गया।
शहरी क्षेत्रों में मौजूदा कीमत पर औसत एमपीसीई 2011-12 के 2,630 रुपये से बढ़कर 2022-23 में 6,521 रुपये तक पहुंच गया। ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें, तो यह 1,430 रुपये से बढ़कर 2,054 रुपये हो गया है। एमपीसीई का अनुमान सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले केंद्रीय नमूने में 2,61,746 घरों से जुटाए गए आंकड़ों पर आधारित हैं। इनमें ग्रामीण क्षेत्र के 1,55,014 और शहरी क्षेत्र के 1,06,732 पर शामिल हैं।
सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला एनएसएसओ यह सर्वे साल करता है। इसका मकसद यह पता लगाना होता है कि आम आदमी के खर्च में किस तरह से बदलाव हो रहा है। अलग-अलग राज्यों और शहरों में लोगों के खर्च करने का पैटर्न क्या है। सर्वे से शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी चीजों के बारे में भी पता चलता है, जिन पर लोग पहले की तुलना में अब ज्यादा खर्च कर रहे हैं।