दीपोत्सव के वायरल चित्र पर नज़्म –
राम नाम के दीपक बुझ गये, कौन हवा ग़ुस्ताक़ थी इतनी,
जानबूझ कर बुझा दे दीपक किसने इतनी जुर्रत कर ली।
हाथ जोड़कर हवा ये बोली-मैंने इतनी हिम्मत कर ली,
मुझसे बोले रामचंद्र जी- बुझा दो दीपक तेल बचा लो,
तेल की खातिर आयेगी एक मासूम सी भूखी-प्यासी बच्ची।।
- नवेद शिकोह