गौतम चक्रवर्ती
हमारा देश एक कृषि प्रधान देश होने के कारण हमारी सम्पूर्ण अर्थ व्यवस्था ही कृषि पर आधारित है और देश की 60 प्रतिशत तक से भी अधिक आबादी आज भी गावों में ही निवास करती है एवं उनकी आजीविका का प्रमुख श्रोत कृषि ही है।
सम्पूर्ण विश्व में फैली महामारी के कारण विश्व की ही नही बल्कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था भी पूरी तरह चौपट हो गई थी, ऐसे में स्वाभाविक सी बात है कि देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह ठीक होने में समय तो लगेगा ही लेकिन जिस समय विश्व की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई थी, लेकिन उसकी तुलना में हमारे देश की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह डूबने से यही अकेला कृषि क्षेत्र बचाए रहा। अर्थव्यवस्था के खराब होने के बावजूद मात्र कृषि क्षेत्र ही ऐसा एक क्षेत्र था कि जिसमें कोई फर्क नही पड़ा बल्कि जिसके परिणाम स्वरूप कृषि उत्पादन इस कालखंड में अच्छी वृद्धि दर हासिल किया और यह सिलसिला आज अभी तक जारी है।
हमें यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि कोरोना कालीन देश के अधिकतर क्षेत्रों में ताला बंदी होने से कामगार लोगों की स्थिति और देश की आर्थिक स्थिति दिनो दिन बिगड़ती चली जा रही थी ऐसे में कृषि क्षेत्र के बदौलत ही देश की अर्थव्यवस्था किसी हद तक संभालने में मदद मिली, तो वहीं देश की सकल घरेलू उत्पाद में अकेले कृषि क्षेत्र का योगदान 14.2 प्रतिशत से बढ़कर 18.8 प्रतिशत तक हो गया और जब हम भारत से विश्व के अन्य देशों को अनाज निर्यात की बात करें तो वित्तीय वर्ष 2021-22 में यह बढ़कर 5000 करोड़ अमेरिकी डॉलर से भी अधिक हो गया था, जो अब तक का सबसे अधिक कृषि उत्पाद के निर्यात का है।
मौजूदा समय जुलाई माह में लगभग पूरे देश के खेतों में धान रोपाई काम होता है उत्तर प्रदेश राज्य में मॉनसून के रूठे रहने से धान के रोपाई का काम बाधित हो रहा था। उत्तर प्रदेश राज्य के जो किसान पहले बुआई कार्य कर अग्रिम पैदावार का काम करते हैं ऐसे लोग तो जुलाई के प्रथम सप्ताह तक धान की रोपाई कर चुके थे उनके खेतों में वर्षा जल के अभाव में धान की फसल सुख रही थी एसे में किसानों को कल यानिकि 20 जुलाई 2022 के दिन हुए बारिश ने किसानों के धान की फसलों को नष्ट होने से बचा अवश्य लिया है लेकिन अग्रिम खेती करने वाले किसानों के फसलों को अभी तक बारिश नही होने की वजह से बहुत नुकसान उठाना पड़ रहा था क्योंकि उनके धान के पौधे लाल पड़ कर सुख रहे थे, जबकि पिछले वर्ष यानिकि वर्ष 2021 में उत्तर प्रदेश के किसानों ने खरीफ फसलों के उत्पादन का नया रेकॉर्ड बनाया था।
यूपी में पिछले खरीफ वर्ष में जहां 207.61 लाख टन अनाज का उत्पादन हुआ था। वहीं इस खरीफ वर्ष में अनाज के उत्पादन में कमी आने की संभावना बनती नजर आ रही है। वर्ष 2021 में देश के उत्तरप्रदेश राज में जहां चावल की पैदावार अधिक 171.36 लाख टन हुआ था, लेकिन इस वर्ष 2022 में चल रहे मौसमी बेरुखी को देखते हुए ऐसा लगता है कि पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष 2022 में फसलों का उत्पादन में कमी आने की प्रवल संभावना दिख रही है।