एक बार मैं अपने पुत्र के साथ एक महात्मा के पास पहुंचा। महात्मा ने मेरे पुत्र की ओर देखा और हिदायत दी कि तुम रोज सुबह उठकर अपने माता-पिता के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया करो। यदि ऐसा करोगे तो जीवन में बाधाएं नहीं आएंगी और बहुत तरक्की करोगे।
नई पीढ़ी के युवाओं के लिए ऐसी हिदायत पर अमल कर पाना आसान नहीं है। मेरे पुत्र के लिए भी रोज सुबह इस नियम का पालन करना आसान नहीं रहा। उसने महात्मा की कही गई बात पर अमल तो शुरू किया, पर ऐसा लगता था कि वह यह काम किसी दबाव में कर रहा है। जब तक आस्था न हो, तब तक ऐसी चीजें निभती नहीं है। भूलना ऐसे कामों का स्वभाव बन जाता है। *सो उसके साथ भी यही हुआ। मेरे सामने कोई ऐसा प्रत्यक्ष उदाहरण भी नहीं था जिसके आधार पर मैं उसे यह दिखाता कि पैर छूने के बदले सिर पर आशीर्वाद स्वरूप हाथ रख देने से किसी के जीवन में क्या बदलाव आ सकता है।
एक दिन मैंने देखा कि मेरा बेटा अपने मोबाइल के स्क्रीन पर उंगली रखता है तो स्क्रीन पर उभरने वाले अक्षर और चित्र बदल जाते हैं। यह देखकर अचानक दिमाग में यह बात कौंधी कि यदि इंसान द्वारा बनाए गए मोबाइल के स्क्रीन पर उंगली को रख देने मात्र से वहां इतना बदलाव हो सकता है, तो फिर जब कोई व्यक्ति आशीर्वाद स्वरूप जब अपना हाथ किसी अन्य व्यक्ति के सिर पर रखता होगा, तो क्या आशीर्वाद पाने वाले के जीवन में ऐसे ही बदलाव नहीं होते होंगे।
1 Comment
Hello very cool website!! Guy .. Excellent .. Amazing .. I will bookmark your site and take the feeds also…I am satisfied to seek out numerous useful information right here within the put up, we want develop extra strategies on this regard, thank you for sharing. . . . . .