Close Menu
Shagun News India
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Saturday, May 24
    Shagun News IndiaShagun News India
    Subscribe
    • होम
    • इंडिया
    • उत्तर प्रदेश
    • उत्तराखंड
    • राजस्थान
    • खेल
    • मनोरंजन
    • ब्लॉग
    • साहित्य
    • पिक्चर गैलरी
    • करियर
    • बिजनेस
    • बचपन
    • वीडियो
    Shagun News India
    Home»festival

    सभी धर्मों को प्यार के रंग में रंगती है ‘होली’

    By March 20, 2019 festival No Comments10 Mins Read
    Facebook Twitter LinkedIn WhatsApp
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn WhatsApp
    Post Views: 435

    डा. जगदीश गाँधी

    भारत संस्कृति में त्योहारों एवं उत्सवों का आदि काल से ही काफी महत्व रहा है।हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहाँ पर मनाये जाने वाले सभी त्योहार समाज में मानवीय गुणों को स्थापितकर के,लोगों में प्रेम, एकता एवं सद्भावना को बढ़ाते हैं। भारत में त्योहारों एवं उत्सवों का सम्बन्ध किसी जाति,धर्म,भाषा या क्षेत्रसेन होकर समभाव से है। यहाँ मनाये जाने वाले सभी त्योहारों के पीछे की भावना मानवीय गरिमा को समृद्धता प्रदान करना होता है।यही कारण है कि भारत में मनाये जाने वाले सभी प्रमुख त्योहारों एवं उत्सवों में सभी धर्मों के लोग आदर के साथ मिल जुलकर मनाते हैं। होली भारतीय समाज का एक प्रमुख त्योहार है, जिसका लोग बेसब्री के साथ इंतजार करते हैं। परम पिता परमात्मा से हमारी प्रार्थना है कि होली का मंगल पर्व हम सभी के जीवन में नई आध्यात्मिक क्रान्ति लाए!

    भारतीय संस्कृति का परिचायक है ‘होली’:

    होली को लेकर देश के विभिन्न अंचलों में तमाम मान्यतायें हैं और शायद यही विविधता में एकता, भारतीय संस्कृति का परिचायक भी है।उत्तर पूर्व भारत में होलिका दहन को भगवान कृष्ण द्वारा राक्षसी पूतना के वध दिवस के रुप में जोड़कर, पूतना दहन के रूप में मनाया जाता है तो दक्षिण भारत में मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने कामदेव को तीसरा नेत्र खोल भस्मकर दिया था। तत्पश्चात कामदेव की पत्नी रति के दुख से द्रवित होकर भगवान शिव ने कामदेव को पुनर्जीवित कर दिया, जिससे प्रसन्न होकर देवताओं ने रंगों की वर्षा की। इसी कारण होली की पूर्व संध्या पर दक्षिण भारत में अग्नि प्रज्जवलित कर उसमें गन्ना, आम की बौर और चन्दन डाला जाता है। यहाँ गन्ना कामदेव के धनुष, आम की बौर कामदेव के बाण, प्रज्जवलित अग्नि शिव द्वारा कामदेव का दहन एवं चन्दन की आहुति कामदेव को आग से हुई जलन हेतु शांत करने का प्रतीक है।

    ‘होलिका’ का दहन समाज की समस्त बुराइयों के अंत का प्रतीक:

    होली भारत के सबसे पुराने पर्वों में से एक है। होली की हर कथा में एक समानता है कि उसमें ‘असत्य पर सत्य की विजय’ और ‘दुराचार पर सदाचार की विजय’ का उत्सव मनाने की बात कही गई है।इस प्रकार होली मुख्यतः आनंदोल्लास तथा भाई-चारे का त्योहार है। यह लोक पर्व होने के साथ ही अच्छाई की बुराई पर जीत, सदाचार की दुराचार पर जीत व समाज में व्याप्त समस्त बुराइयों के अंत का प्रतीक है।ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता व दुश्मनी को भूलकर एक-दूस रेके गले मिलते हैं और फिर ये दोस्त बन जाते हैं। राग-रंग का यह लोकप्रिय पर्व बसंत का संदेश वाहक भी है। किसी कवि ने होली के सम्बन्ध में कहा है कि – नफरतों के जलजाएं सब अंबार होली में। गिरजा ये मतभेद की हर दीवार होली में।।बिछुड़ गये जो बरसों से प्राण से अधिक प्यारे, गले मिलने आजाऐं वे इस बार होली में।।

    फोटो: आज़म हुसैन

    प्रभु के प्रति अटूट भक्ति एवं निष्ठा’ के प्रसंग की याद दिलाता है यह महानपर्व:

    होली पर्व को मनाये जाने के कारण के रूप में मान्यता है कि प्राचीन काल में हिरण्य कश्यपु नाम का एक अत्यन्त बलशाली एवं घमण्डी राजा अपने को ही ईश्वरमान ने लगा था।हिरण्य कश्यपु ने अपने राज्य में ईश्वर  का नाम लेने पर ही पाबंदी लगा दी थी। हिरण्य कश्यपु का पुत्र प्रह्लाद ईश्वर का परम भक्त था।प्रह्लाद की ईश्वर भक्ति से कुद्ध होक रहिरण्य कश्यपु ने उसे अनेक कठोर दंड दिए, परंतु भक्त प्रह्ला दने ईश्वर की भक्ति का मार्ग न छोड़ा। हिरण्य कश्यपु की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में भस्म नहीं हो सकती।हिरण्य कश्यपु के आदेश पर होलिका प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से उसे अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई।किन्तु आग में बैठने पर होलिका तो जल गई परंतु ईश्वर भक्त प्रह्लाद बच गये।इस प्रकार होलिका के विनाश तथा भक्त प्रह्लाद की प्रभु के प्रति अटूट भक्ति एवं निष्ठा के प्रसंग की याद दिलाता है यह महानपर्व।

    कोई शक्ति प्रभु कार्य करने से रोक नहीं सकती:

    यह संसार का कितना बड़ा अजूबा है कि असु रप्रवृत्ति के तथा ईश्वर के घोर विरोधी दुष्ट राजा हिरण्य कश्यप के घर में ईश्वर भक्त प्रहलाद का जन्म हुआ। प्रहलाद ने बचपन में ही प्रभु की इच्छा तथा आज्ञा को पहचान लिया था।निर्दयी हिरण्य कश्यप ने अपने बेटे प्रहलाद से कहा कि यदि तू भगवान का नाम लेना बंदन हीं करेंगा तो मैं तुझे आग में जला दूँगा। उसके दुष्ट पिता ने प्रहलाद को पहाड़ से गिराकर, जहर देकर तथा आग में जलाकर तरह-तरह से घोर यातनायें दी।प्रहलाद ने अपने पिता हिरण्य कष्यप से कहा कि पिता श्री यह शरीर आपका है इसका आप जो चाहे सो करें, किन्तु आत्मा तो परमात्मा की है। इसे आपको देना भी चाहूँ तो कैसे दे सकता हूँ।प्रहलाद के चिन्तन में भगवान आ गये तो हिरण्य कश्यप जैसे ताकतवर राजा का अंत नृसिंह अवतार के द्वारा हो गया। इसलिए हमें भी प्रहलाद की तरह अपनी इच्छा नहीं वरन्प्रभु की इच्छा और प्रभु की आज्ञा का पालन करते हुए प्रभु का कार्यकर ना चाहिए।

    सभी धर्मों के लोग मिलकर मनाते हैं ‘होलिकोत्सव’:

    होली जैसे पवित्र त्योहार के सम्बन्ध में सुप्रसिद्ध मुस्लिम पर्यटक अलबरूनी ने अपने ऐतिहासिक यात्रा संस्मरण में होलिकोत्सव का वर्णन किया है। भारत के अनेक मुस्लिम कवियों ने अपनी रचनाओं में इस बात का उल्लेख किया है कि होलिकोत्सव को हिंदू ही नहीं अपितु मुसलमान लोग भी मनाते हैं।इसका सबसे प्रामाणिक इतिहास की तस्वीरे मुगलकाल की हैं और इस काल में होली के किस्से उत्सुकता जगाने वाले हैं।इन तस्वीरों में अकबर को जोधाबाई के साथ तथा जहाँगीर को नूरजहाँ के साथ होली खेलते हुए दिखाया गया है।शाहजहाँ के समय तक होली खेलने का मुगलिया अंदाज ही बदल गया था।इतिहास में वर्णन है कि शाहजहाँ के जमाने में होली को ‘ईद-ए-गुलाबी या आब-ए-पाशी’ (रंगों की बौछार) कहा जाता था।अंतिम मुगल बादशाहशाह जफर के बारे में प्रसिद्ध है कि होली प रउनके मंत्री उन्हें रंग लगाते थे।

    होली का आधुनिक रूप:

    होली रंगों का त्योहार है, हँसी-खुशी का त्योहार है। लेकिन होली के भी अनेक रूप देखने को मिलते हैं।प्राकृतिक रंगों के स्थान पर रासायनिक रंगों का प्रचलन, नशेबाजी की बढ़ती प्रवृत्ति और लोक-संगीत की जगह फिल्मी गानों का प्रचलन इसके कुछ आधुनिक रूप है। पहले जमाने में लोग टेसू और प्राकृतिक रंगों से होली खेलते थे।वर्तमान में अधिक से अधिक पैसा कमाने की होड़ में लोगों ने बाजार को रासायनिक रंगों से भर दिया है।वास्तव में रासायनिक रंग हमारी त्वचा के लिए काफी नुकसान दायक होते हैं।इन रासायनिक रंगों में मिले हुए सफेदा, वार्निश, पेंट, ग्रीस, तारकोल आदि की वजह से हमको खुजली और एलर्जी होने की आशंका भी बढ़ जाती है। इसलिए होली खेलने से पूर्व हमें बहुत सावधानियाँ बरतनी चाहिए। हमें चंदन, गुलाब जल, टेसू के फूलों से बनाहुआ रंग तथा प्राकृतिक रंगों से होली खेलने की परंपरा को बनाये रखते हुए प्राकृतिक रंगों की ओर लौटना चाहिए।

    होली पर्व का मुख्य उद्देश्य ‘मानव कल्याण’ ही है:

    होली पर्व के पीछे तमाम धार्मिक मान्यताएं, मिथक, परम्पराएं और ऐतिहासिक घटनाएं छुपी हुई हैं पर अंततः इस पर्व का उद्देश्य मानव-कल्याण ही है। लोक संगीत, नृत्य, नाट्य, लोक कथाओं, किस्से-कहानियों और यहाँ तक कि मुहावरों में भी होली के पीछे छिपे संस्कारों, मान्यताओं व दिलचस्प पहलुओं की झलक मिलती है।होली को आपसी प्रेम एवं एकता का प्रतीक माना जाता है। होली हमें सभी मतभेदों को भुलाकर एक-दूसरे को गले लगाने की प्रेरणा प्रदान करती है। इसके साथ ही रंग का त्योहार होने के कारण भी होली हमें प्रसन्न रहने की प्रेरणा देती है। इसलिए इस पवित्र पर्व के अवसर पर हमें ईर्ष्या, द्वेष, कलह आदि बुराइयों को दूर भगाना चाहिए।वास्तव में हमारे द्वारा होली का त्योहार मनाना तभी सार्थक होगा जबकि हम इसके वास्तविक महत्व को समझकर उसके अनुसार आचरण करें।इसलिए वर्तमान परिवेश में जरूरत है कि इस पवित्र त्योहार पर आडम्बरता की बजाय इसके पीछे छुपे हुए संस्कारों और जीवन-मूल्यों को अहमियतदी जाए तभी व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र सभी का कल्याण होगा।

    होली पर्व के जोश के लिए कुछ सुझाव:

    होली का लुफ्त घर में बच्चों से ज्यादा शायद ही कोई दूसरा उठाता होगा।इन बच्चों की होली की तैयारियां कई दिनों से शुरु हो जाती हैं जिसके चलते हर घर में अफरा-तफरी का माहौल छा जाता है। रंगों से लेकर तरह-तरह की पिचकारियों का मेला लगना तो आम बात होती है मगर इस

    धमा चौकड़ी में आपके बच्चे को कोई नुकसान न पहुंचे और वह अपनी होली पूरे जोश और रंग के साथ खेले इसके लिए हम आपको कुछ सुरक्षा उपाय बता रहे है:

    1. इससे पहले की आपके बच्चे अपनी-अपनी पिचकारियों के साथ घर से निकलें।आपके लिए यह जान लेना बहुत जरुरी है कि हर रंग किसी न किसी रासायनिक पदार्थ के प्रयोग से बना होता है। लाल रंग मरकरी सल्फाइट, बैगनी रंगक्रोमियम तथा ब्रोमाइड कंपाउंड, हरा रंग कौपर सल्फेट और काला रंग लिड ऑक्साइड से बना होता है। इन खतरनाक रंगों के उपयोग से त्वचा में जलन, गंजापन, ऐलर्जी यहां तक की अंधापन होने की भी गुंजाइश रहती है।इसलिए यह अच्छा होगा की आप अपने बच्चों को ऐसे रंगों के उपयोग से दूर रखें और उन्हें हर्बल रंगखरीद कर दें।
    2. इस दिन बच्चे ज्यादा उत्तेजित हो जाते हैं और वह खुशी में भूल जाते हैं कि उन्हें अपने पड़ोसियों से कैसा व्यवहार करना चाहिए। आप उन्हें बताइये कि अगर कोई रंग नहीं खेलना चाहता या बीमार है तो उससे जबरदस्ती न करें।
    3. बच्चे जब आपस में होली खेल रहें हों तो आपका उनके आस-पास रहना बहुत जरुरी है।उन पर हमेशा ध्यान रखें की कहीं उनके आंखों या फि रमुंह में रंग न चला गया हो।साथ ही उन्हें पूरे कपड़े पहनने को बोलें तथा पूरे शरीर में तेल लगाकर ही बाहर भेजें।
    4. ढेर सारे रंग और पिचकारियों के चलते होली के दिन पानी का खूब प्रयोग होता है।इसदिन घर में पानी ही पानी फैला होता है और घर में धमा चौकड़ी मचाते हुए बच्चों को रोकना भी कठिन होता है।इसलिए कोशिश करें कि बच्चों को डांटे बगैर उन्हें कहीं बाहर पार्क में होली खेलने की हिदायत दें।
    5. कुछ बदमाश बच्चे होली में रंगां के बजाए गंदगी का प्रयोग करते हैं। अगर आपके बच्चे भी अंडा, मिट्टी या गंदे पानी का प्रयोग करना चाहें तो उन्हें तुरंत मना कर दें।साथ ही उन्हें गंदगी के दुष्प्रभाव बताकर इस पर्व पर सफाई रखने को कहें।
    6. वह बच्चे जिन्हें चोट लगी हो या फिर मुंह पर मुंहासे आदि हों तो उन्हें डाक्टर से सलाह लेकर ही होली खेलने दें। कुछ रंग इतने हानिकारक होते हैं कि वह त्वचा के माध्यम से अंदर प्रवेश करके शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
    7. इस बात पर ध्यान दें कि आपका बच्चा रासायनयुक्त रंगों से न खेल रहा हो। आप चाहें तो अपने घर पर ही हल्दी, टेसू या अन्य प्रकार के हर्बल रंग बनाकर उन्हें दे सकते हैं।
    8. बाइक जैसे तेज वाहन लेकर होली खेलने जाने से अपनी कि शोर तथा युवा संतानों को समझाकर जाने से रोके। होली के दिन नशे में तेज गति से रफ ड्राइविंग से सर्वाधिक दुर्घटना यें भारत में होती हैं।घर के आसपा सही होली खेलने की सलाह दें।

    होली का मंगल पर्व हम सभी के लिए एक नई आध्यात्मिक क्रांति लाए:

    होली भारत के अलावा अनेक देशों में धूमधाम से मनाया जाने वाला एक बड़ा त्योहार है।इसका विशेष आयोजन भारत देश के ब्रज क्षेत्र में लगभग एक माह पहले से किया जाता है।इस त्योहार का अहम मकसद पुरानी रंजिशों को होली में जलाने के बाद आपसी दिल मिलाकर, नया सकारात्मक मानवीय अध्याय शुरु करना होता है। अगर आप थोड़ा सा भी सजग एवं सावधान रहें तो त्योहार की खूबसूरती बरकरार रह पाएगी।रंगों द्वारा खेलने की वजह से ही इसका महत्व विशिष्ट बड़े त्योहारों में गिना जाता है।शुभ होली! हम सभी इसी संकल्प से संकल्पित हो कि होली का मंगल पर्व हम सभी के जीवन में एक नईआध्यात्मिक क्रांति लाए, जिसके प्रवाह में सफलता के सुनहले रंग से जीवन आच्छादित हो उठे।

    • लेखक सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ के वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं संस्थापक-प्रबन्धक हैं
    #होली

    Keep Reading

    पाक सेना प्रवक्ता ने दी गीदड़ धमकी कहा : अगर आप हमारा पानी रोकेंगे, तो हम आपकी सांस रोक देंगे!

    पाकिस्तान को हर आतंकी हमले की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी : नरेंद्र मोदी

    गंगोत्री: हिमालय की गोद में प्रकृति और आध्यात्म का अनुपम संगम

    बसपा के बिना इस बार बिहार में नहीं बनेगी सरकार : सांसद रामजी गौतम

    एक तूफ़ान ने छीन ली सौ से अधिक तोतों की जान, जैव विविधता पर जताई गयी चिंता

    संवेदनशील बेटियां बनीं बुजुर्ग पिता की अभिभावक

    Add A Comment
    Leave A Reply Cancel Reply

    EMAIL SUBSCRIPTIONS

    Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
    Loading
    Advertisment
    NUMBER OF VISITOR
    71605
    Visit Today : 551
    Visit Yesterday : 803
    Hits Today : 17164
    Total Hits : 4192365
    About



    ShagunNewsIndia.com is your all in one News website offering the latest happenings in UP.

    Editors: Upendra Rai & Neetu Singh

    Contact us: editshagun@gmail.com

    Facebook X (Twitter) LinkedIn WhatsApp
    Popular Posts

    प्रो. नैय्यर मसूद के व्यक्तित्व-कृतित्व पर चर्चा, साहित्य अकादमी ने जारी किया मोनोग्राफ

    May 23, 2025

    एक्सिस बैंक ने वाराणसी में डिजिटल परिवर्तन को दिया बढ़ावा

    May 23, 2025

    पाक सेना प्रवक्ता ने दी गीदड़ धमकी कहा : अगर आप हमारा पानी रोकेंगे, तो हम आपकी सांस रोक देंगे!

    May 23, 2025

    बांग्लादेश में बढ़ा संकट: सेना और सरकार आमने -सामने, हो सकता है तख्तापलट!

    May 23, 2025

    पाकिस्तान को हर आतंकी हमले की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी : नरेंद्र मोदी

    May 23, 2025

    Subscribe Newsletter

    Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
    Loading
    © 2025 © ShagunNewsIndia.com | Designed & Developed by Krishna Maurya

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

    Newsletter
    Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
    Loading