हमारे देश की स्त्रियाँ अपने पति की लंबी उम्र की कामना कर सुहागिनें करवा चौथ का व्रत रखती हैं। हां हिन्दु हिन्दुधर्म के अनुसार इस व्रत को रखने के कुछ विशेष नियम एवं मान्यतायें हैं जिन्हें भूलकर भी उन नियमों का उल्लंघन नहीं करना चाहिये अन्यथा व्रती महिलाओं को व्रत का फल प्राप्त नहीं होता है।
- जिनमें से सबसे पहला तो यह है कि भूलकर भी इस दिन उजले, भूरे या काले रंग के कपड़े नहीं पहने। इसके अतिरिक्त इस दिन किसी को भी दही, दूध, चावल या उजले वस्त्रों का दान नहीं करें। वैसे तो प्रतिदिन अपने से बड़ों का आशीर्वाद लेना श्रेय कर होता है, लेकिन करवाचौथ के दिन विशेष रूप से बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिये।
- करवाचौथ के दिन कभी भी गलती से भी अपने पति के अलावा किसी अन्य पुरुष के विषय में किसी भी तरह का ख्याल मन में पैदा होने देना ही नहीं चाहिये।
- करवाचौथ के दिन महिलाओं को अपने सुहाग की निशानी जैसे चूड़ी, बिंदी और सिंदूर को भूलकर भी कूड़ेदान या कचड़े में नहीं फेंके।
- इन सब के साथ ही करवाचौथ के दिन सिलाई-कढ़ाई और कटाई ना करें। साथ ही इन सब कामों के लिए कैंची का प्रयोग भी वर्जित है। करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं को इस दिन समय बिताने के लिए कुछ अन्य प्रकार के कर्मों में व्यस्त रहना चाहिये। इसके लिये भजन-कीर्तन भी कर अपना समय गुजार सकते हैं।
- करवाचौथ के दिन मांस, मछली, अंडा और मुर्गा इत्यादि जौसे तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। ध्यान रखें इस नियम का पालन केवल व्रती महिलाओं को ही नहीं बल्कि उनके पतियों को भी करना चाहिए। मान्यता है कि अगर इस नियम का पालन न किया जाये तो हिन्दू मतानुसार व्रत करना व्यर्थ जाता है। -प्रस्तुति: जी के चक्रवर्ती