सीमैप व नासिक के आनंद फाउंडेशन के बीच समझौता पत्र पर हुआ हस्ताक्षर
लखनऊ, 17 अगस्त 2021: गोदावरी नदी के तट पर स्थित त्रयम्बकेश्वर, सोमेश्वर वणी, कालाराम आदि मंदिरों पर चढ़े फूल अब प्रदूषण नहीं फैलाएंगे। बल्कि वे पुन: अगरबत्ती के रूप में बाजार में आकर मंदिरों व घरों में सुगंध फैलाने का काम करेंगे। इसके लिए मंगलवार को सीएसआईआर.सीमैप और आनंद फ़ाउंडेशन, नासिक के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। सीमैप इसके लिए तकनीकी उपलब्ध कराएगा और आनंद फाउंडेशन उस तकनीकी से अगरबत्ती बनाने का काम करेगा।
प्रौद्योगिकी हस्तांतरण अनुबंध पर सीएसआईआर – सीमैप के प्रशासनिक नियंत्रक भास्कर ज्योति देउरी तथा आनंद फ़ाउंडेशन, नाशिक के प्रमुख अपूर्वा प्रकाश वैद्य ने हस्ताक्षर किए। इस संबंध में सीमैप के मीडिया प्रभारी डाक्टर मनोज सेमवाल ने बताया कि आनंद फ़ाउंडेशन नाशिक के द्वारा गोदावरी नदी के तट पर स्थित मंदिर त्रयम्ब्केश्वर, सोमेश्वर वणी (सप्तश्रंगी देवी), कालाराम मंदिर, कपालेश्वर आदि मंदिरों में चढ़े फूल एकत्रित करके अगरबत्ती, धूप, कोन बनाने की शीघ्र शुरुआत करने जा रहे हैं। आनंद फ़ाउंडेशन, नाशिक के प्रमुख अपूर्वा प्रकाश वैद्य ने बताया कि महाराष्ट्र में त्योहार जैसे गणपति उत्सव व घटस्थापना उत्सव में बृहद रूप से फूलों उपयोग किया जाता है और बाद में इन फूलों को नदी व तालाबों में विसर्जित किया जाता है, जिससे प्रदूषण होता है।
परंतु अब आनंद फ़ाउंडेशन नाशिक के द्वारा इन फूलों का सदुपयोग कर अगरबत्ती, धूप, कोन आदि बनाया जाएगा। मंदिरों मे चढ़े फूलों से निर्मित सुगंधित अगरबत्ती एवं कोन पूर्णतया हर्बल एवं सुगंधित तेलों द्वारा निर्मित होने के कारण इसका शरीर पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। आनंद फ़ाउंडेशन के संयोजक प्रवीन पगारे ने बताया कि नाशिक तथा आस-पास के प्रमुख मंदिरों में दो टन फूल प्रतिदिन चढ़ते हैं, जिसको अभी कचरे में या खाद बनाने के प्रयोग में लाया जाता है, परंतु अब इसका उपयोग अगरबत्ती तथा कोन बनाने में होगा। इससे वातावरण की साफ एवं सुरक्षित होगे तथा आस-पास को महिलाओं को रोजगार भी मिलेगा।
सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने बताया कि इन उत्पादों को सीएसआईआर-सीमैप द्वारा वैज्ञानिक रूप से परीक्षण किया गया है। ये उत्पाद ज्यादातर मंदिर में चढ़े फूलों से तथा सुगंधित तेलों से बने होते हैं और इस संस्थान द्वारा उनके उत्पादन से देश में फूलों की खेती करने वाले किसानों को भी आर्थिक लाभ होगा। इस मौके पर डॉ. रमेश के. श्रीवास्तव, प्रमुख, व्यापार विकास विभाग ने बताया कि इस तकनीक से उत्तर प्रदेश के कई शहरों जैसे गोरखपुर, अयोध्या, बनारस, लखनऊ एवं लखीमपुर में यह कार्य महिलाओं के साथ-साथ जिला कारागार में भी इसके प्रशिक्षण आयोजित कर महिलाओं को रोजगार प्रदान किया जा रहा है और अब यह कार्य महाराष्ट्र में भी किया जाएगा।